म्यानमार की एक अदालत ने प्रजातंत्रवादी नेता आंग सान सू ची पर नज़रबंदी क़ानून तोड़ने
का आरोप लगाकर उनकी नज़रबंदी में 18 माहों की वृद्धि कर दी है। आंग सान सू ची पर
मई माह में झील पार कर अपने घर आए एक अमरीकी व्यक्ति को शरण देने तथा नज़रबंदी की शर्तों
का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। श्रीमती सूची ने इन आरोपों से इनकार करते हुए
अदालत को बताया कि उन्हें नहीं पता था कि कोई देर रात उनसे मिलने आया था। उन्होंने कहा
कि यह जानकारी उन्हें अपने सहयोगी से मिली। सूची पर म्यानमार की अदालत द्वारा चलाये
गये मुकदमे की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई है। मई माह में जिस समय सूची को गिरफ़्तार
किया गया था तब वे नज़रबंद थीं और उनकी रिहाई में कुछ ही दिन बाकी रह गये थे। विगत 19
वर्षों के दौरान सूची का अधिकांश समय नज़रबंदी में गुजरा है। म्यानमार सैन्य शासन
के आलोचकों का कहना है कि उक्त निर्णय से बर्मा सरकार को एक बहाना मिल गया है ताकि वह
2010 में होने वाले चुनावों के बाद तक सूची को हिरासत में रख सके।