2009-08-10 15:39:03

देवदूत संदेश प्रार्थना के पाठ से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 9 अगस्त को कास्तेल गोंदोलफो स्थित ग्रीष्मकालीन प्रेरितिक आवास के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्य़टकों के साथ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने मध्याह्न देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-

अति प्रिय भाईयो और बहनो,

पुरोहितों को समर्पित वर्ष के संदर्भ में विगत रविवार के समान ही इस रविवार को आज हम कुछेक संतों और शहीदों के जीवन पर मनन चिंतन करते हैं जिन्हें इन दिनों के पूजन धर्मविधि समारोह में स्मरण किया जाता है। असीसी की संत क्लारा, इनके साथ ही कुछ शहीद जिन्में क्रूस की संत तेरेसा बेनार्देत- एडिथ स्टेन जो यहूदी विश्वास में पैदा हुई लेकिन उन्होंने वयस्क होने पर येसु ख्रीस्त को अपनाया, वे कार्मेल धर्मबहन बनीं और उनके जीवन का अंत शहादत से हुआ तथा संत मक्सीमिलियन कोल्बे पोलैंड की संतान। दोनों संत आउत्सविज यातना शिविर में मारे गये। संत फ्रांसिस औफ असीसी निष्कलंक मरिया के महान प्रेरित। रोम की कलीसिया के अन्य शहीद हैं जिनका हम साक्षात्कार करते हैं जैसे संत पोंतियन, इपोलितो पुरोहित और संत लौरेंस उपयाजक। ये पवित्रता के महान आदर्श हैं जिन्हें कलीसिया हमारे सामने प्रस्तुत करती है।
ये संत साक्षी हैं उस प्रेम का जो अंत तक प्यार करता है और बुराई पर ध्यान नहीं देता है लेकिन भलाई के बल पर बुराई के साथ संघर्ष करता है। इन संतो से हम, विशेष रूप से हमारे पुरोहित सीख सकते हैं सुसमाचारीय वीरता, जो हमें उत्प्रेरित करती है कि बिना भय हमारे जीवन को आत्माओं की मुक्ति के लिए दें। प्रेम मृत्यु पर विजय होती है।

सब संत लेकिन विशेष रूप से शहीद साक्षी हैं कि ईश्वर प्रेम है। नात्सी यातना शिविर और सब मृत्यु शिविरों को बुराई का चरम संकेत माना जा सकता है। इस पृथ्वी पर नरक होती है जब मानव ईश्वर को भूल जाता है, जब ईश्वर के स्थान पर विकल्प लाया जाता है, क्या भला है और क्या बुरा है इसका निर्णय करने तथा जीवन देने और जीवन लेने के उनके अधिकार को ले लिया जाता है। दुर्भाग्यवश यह दृश्य न केवल मृत्यु शिविर तक सीमित है लेकिन यह एक व्यापक वास्तविकता का चरम है जिसकी बहुधा अस्पष्ट सीमाएँ हैं। यह वास्तविकता हूबहू विरोधालंकार है जो द्वितीय सहस्राब्दि को अंत में स्पष्ट होता है। निरीश्वरवादात्मक मानववाद और ख्रीस्तीय मानववाद के मध्य विरोध तथा पवित्रता और शून्यवाद के मध्य विरोध।

ये संत वास्तव में साक्षी हैं उस विरोधालंकार का जिसका विस्तार इतिहास में है लेकिन द्वितीय सहस्राब्दि के अंत में सामयिक शून्यवाद के साथ, हम अति महत्वपूर्ण बिन्दु पर पहुँच गये हैं जैसा कि प्रमुख लेखकों और विचारकों ने महसूस किया तथा घटनाओं ने प्रचुर मात्रा में प्रदर्शित किया है।
एक ओर दर्शनशास्त्र और विचारधाराएँ हैं लेकिन इसके साथ ही बढ़ती मात्रा में विचार और क्रियाकलाप हैं जो मानव की स्वतंत्रता को एकमात्र सिद्धांत के रूप में ईश्वर के विकल्प रूप में गुणगान करती हैं और इस तरह से मानव को भगवान में बदल देती है जिसका व्यवहार करने की पद्धति स्वेच्छाचारी स्वभाव वाली होती है। दूसरी ओर हम संतो को देखते हैं जो प्रेम के सुसमाचार का अभ्यास कर अपनी आशा के लिए कारण पाते हैं, वे ईश्वर के यथार्थ मुखमंडल को दिखाते हैं जो प्रेम हैं और साथ ही मानव के सच्चे चेहरे को दिखाते हैं जिसकी सृष्टि ईश्वर के समान और प्रतिरूप में की गयी है।

अतिप्रिय भाईयो और बहनो, हम कुँवारी मरियम से प्रार्थना करें ताकि वे हम सब की सहायता करें सर्वप्रथम सब पुरोहितों के लिए ताकि पवित्र हो सकें, जैसा कि इन वीर शहीदों ने शहादत तक विश्वास और समर्पण का साक्ष्य प्रस्तुत किया। वर्तमान विश्व के सामने गहन संकट उत्पन्न करनेवाले मानवीय और आध्यात्मिक सवालों का व्यापक और निष्ठापूर्ण जवाब देने का यही एकमात्र उपाय उपलब्ध करा सकती है। यही है सत्य में उदारता।

इतना कहने के बाद संत पापा ने तीर्थयात्रिय़ों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।


तदोपरांत संत पापा ने तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए - आज के पवित्र ख्रीस्तयाग के लिए निर्धारित पाठ हमें अपने विश्वास को प्रभु येसु, जीवन की रोटी, पर रखने के लिए आमंत्रित करते हैं, जो स्वयं को हमारे लिए यूखरिस्त में अर्पित करते हैं और हमें पिता के घर में अनन्त आनन्द देने की प्रतिज्ञा करते हैं। ग्रीष्म अवकाश के इन दिनों में आप और आपके परिजन यूखरिस्त बलिदान में सक्रिय रूप से भाग लें तथा उदारता और परोपकार के कृत्यों को करते हुए प्रभु के निमंत्रण का जवाब दें। मैं आप सब पर प्रभु के आनन्द और शांति रूपी वरदान की कामना करता हूँ।








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