मुम्बई, 8 अगस्त, 2009। हिन्दु और यहूदियों ने संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें से अपील की
है कि वे यूरोप में रह रहे करीब 15 लाख लोगों के साथ हो रहे रंगभेद के ख़िलाफ़ खुल कर
सामने आयें। उन्होंने कहा कि यह अनैतिक हैं और पूरे यूरोप और विश्व के चेहरे पर एक काला
धब्बा है।
उक्त बात की जानकारी देते हुए एक हिन्दु राजन जे़द और यहूदी नेता रबी
जोनाथान बी. फ्रेरिच ने नेवादा और कैलिफोर्निया संयुक्त रूप से यह बयान दिया कि रंगभेद
वर्ताव के विरुद्ध आवाज़ नहीं उठाना एक ज़ुर्म है।
उन्होंने आगे कहा कि संत
पापा जो विश्व के सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता होने के नाते इस संबंध में अवश्य
ही अपना योगदान दे सकते हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने बाईबल का उद्धरण
भी प्रस्तुत किया और कहा कि बाईबल के पुराने व्यवस्थान के लेवी के 19 अध्याय के 33वें
पद में इस बात की चर्चा की गयी है कि तुम तुम्हारे देश में बसे प्रवासियों के साथ दुर्व्यवहार
नहीं करोगे। तुम उसे अपने समान प्यार करोगे।
उन्होंने संत पापा के उन पहलों की
तारीफ़ की जिसमें उन्होंने मानवतावादी क्रियाकलापों को बढ़ावा दिया और उनका विश्वास
है कि यूरोप में हो रहे रंगभेद क्रियाकलापों को समाप्त करने के लिये भी उचित कदम उठाएँगे।
दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से यह भी कहा कि संत पापा रंगभेद नीति के ख़िलाप
एक श्वेतपत्र जारी करें।
दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि आये दिन यह समाचार लगातार
आ रहें हैं कि यूरोप में रह रहे लोगों को सामाजिक बहिष्कार, नस्लवाद, घटिया शिक्षा, बेरोज़गारी,
अनियंत्रित बीमारी, अपर्याप्त आवास, निम्न जीवन स्तर, पूर्वाग्रह, अधिकारों के उल्लंघन,
भेदभाव, मानव अधिकारों का दुरुपयोग और इंटरनेट पर जातिवाद नारे आदि का सामना करना पड़ता
है।
राजन जेड, यूनिवर्सल हिंदू धर्म सोसाइटी के अध्यक्ष है, और जोनाथान यहूदियों
के गुरु हैं।
उक्त संयुक्त बयान का स्वागत मानववाधिकारों की रक्षा के लिये बनी
इयूए और ओएससीई जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी किया है। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार
के रंगभेद नीति से वे भी चिन्तित है।
हिन्दु और यहूदी नेता इस बात की आशा करते
हैं कि संत पापा इस क्षेत्र में कोई ठोस कदम उठा पायेंगे।
उन दोनों ने कहा कि
हमारे धर्मशास्र हमें सिखाते है कि हम प्रताड़ितों का साथ दें ग़रीबों को ऊपर उठायें
और न्याय के लिये कार्य करें।
इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि संत पापा विभिन्न
धर्मों के साथ मिलकर एक आयोग का गठन कर सकते हैं ताकि इस संबंध में कुछ ठोस निर्णय लिया
जा सके।