2009-07-29 12:17:15

नई दिल्लीः नन के विरुद्ध अपमानजनक भाषा के प्रयोग पर प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील


भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महिला डेस्क सहित लगभग आठ महिला संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रधान मंत्री से मांग की है कि वे सिस्टर अभया हत्याकांड मामले में आरोपी धर्मबहन सिस्टर सेफी के वर्जिनिटी टेस्ट व उनके खिलाफ तैयार चार्जशीट में इस्तेमाल अश्लील और अवैज्ञानिक भाषा के लिये सीबीआई के विरुद्ध कार्रवाई करें।

महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा हेतु गठित उक्त संगठनों ने दिल्ली में 29 जुलाई धरना दिया। उनका कहना है कि नन का वर्जिनिटी टेस्ट किसी महिला के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

इस बीच ऑल इंडिया डेमॉक्रैटिक वुमंस असोसिएशन के सूत्रों ने बताया कि सीपीएम पोलित ब्यूरो की सदस्या वृंदा कारत पहले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर चार्जशीट में इस्तेमाल भाषा और उसमें की गई टिप्पणी पर रोष जता चुकी हैं। कारत ने अपने पत्र में कहा कि अगर मीडिया के वर्ग में आई इस आशय की खबर सही है तो यह किसी महिला के आत्मसम्मान पर चोट है। उन्होंने प्रधान मंत्री से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।

गौरतलब है कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में चार्जशीट में आरोपी सिस्टर के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल होते दिखाया गया और यह दिखाने भरसक प्रयास किया गया कि आरोपी धर्मबहन का आचरण खराब है। सीबीआई ने उनके ब्रेस्ट की भी जांच कराने की मांग की है।

प्रकरण एक युवा धर्मबहन सि. अभया की कथित हत्या से जुड़ा है। हत्या के 17 साल बाद सीबीआई ने मामले के सिलसिले में 17 जुलाई को दो काथलिक पुरोहितों एवं सिस्टर सेफी के खिलाफ चार्जशीट दायर की। ब्यूरो ने तीनों पर आरोप लगाया कि परिसर में अभया द्वारा उन्हें आपत्तिजनक स्थिति में देखने के बाद उन्होंने अभया की हत्या कर उसके शव को कॉन्वेंट के एक कुँए में फेंक दिया था।

कलीसियाई महिला आयोग की महासचिव सि. लिली फ्राँसिस के अनुसार सीबीआई द्वारा प्रयुक्त भाषा सि. सेफी के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने इसे अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का मामला बताया। अखिल भारतीय ख्रीस्तीय समिति के अध्यक्ष जॉन दयाल ने भी अपमानजनक भाषा के लिये सीबीआई की कड़ी निन्दा की और इसे भारत के लिये लज्जा का विषय निरूपित किया।









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