2009-07-25 12:15:19

संत पापा द्वारा प्रस्तावित ' सुरक्षा के दायित्व ' संबंधी विचार स्वीकृत


न्यूयोर्क, 25 जुलाई, 2009। संयुक्त राष्ट्र संघ की समिति ने संत पापा द्वारा प्रस्तावित ' सुरक्षा के दायित्व ' संबंधी विचारों को स्वीकार कर दिला है।
ज्ञात हो कि सुरक्षा संबंधी अपने विशेष विचार संत पापा ने पिछले साल दिये थे।
उक्त बात की जानकारी देते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तिनो मिल्योरे ने गुरुवार 23 जुलाई को वाटिकन रेडियो को बताया।
उन्होंने बताया कि संत पापा ने इस बात पर बल दिया है कि किसी प्रकार की हिंसा से पीड़ित व्यक्तियों के सुरक्षा की पूर्ण ज़िम्मेदारी राज्यों को है पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी यह दायित्व है कि वह पीडितों की रक्षा के लिये सामने आये।
महाधर्माध्यक्ष मिलयोरे यह भी याद दिलाया कि जब पिछले साल संत पापा ने इस संबंध में अपने वक्तव्य दिये थे तब उन्होंने इस बात को बतलाया था कि हरेक राष्ट्र अपने नागरिकों के सुरक्षा की ज़िम्मेदारी उठाये चाहे यह संकट प्राकृतिक हो या मानव कृत।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई राष्ट्र समस्या का समाधान नहीं कर पा रहा हो तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिये की वह इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यायिक दायरे के अंतर्गत लाये।
महाधर्माध्यक्ष ने इस बात के लिये खेद व्यक्त किया कि अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद युद्ध आपसी तनाव और हिंसा होते रहते हैं।
उन्होंने इस समय हो रहे जोर्जिया कोंगो और श्रीलंका में चल रहे हिंसा के बारे में भी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में सटीक अंतरराष्ट्रीय नियमों का अभाव है और इसीलिये लोग असुरक्षा का अनुभव कर रहे हैं।
युएन में वाटिकन के पर्यवेक्षक ने कहा कि गंभीर परिस्थितियों में समस्याओं के समाधान के लिये और लोगों की सुरक्षा के लिये यूएन चार्टर के अध्याय 7 में वर्णित बल-प्रयोग को भी नकारा नहीं जा सकते है
















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