2009-07-22 12:47:30

एशिया में लाखों ने देखा सूर्यग्रहण


नयी दिल्ली, 22 जुलाई, 2009 एशिया के अनेक देशों में लाखों लोगों ने इक्कीसवीं सदी का सबसे अनोखा पूर्ण सूर्यग्रहण देखा। ये सबसे पहले भारत में देखा गया और फिर चीन होते हुए अन्य देशों में नज़र आया।
22 जुलाई बुधवार को भारतीय समयानुसार सूर्यग्रहण लगभग छह बज कर 25 मिनट पर शुरू हुआ। आकलन बताते हैं कि इतना लंबा सूर्यग्रहण दोबारा 123 साल बाद होगा.
भारत में जहाँ बादलों और बारिश के कारण कई प्रमुख स्थानों पर सूर्यग्रहण को साफ़ नहीं देखा जा सका वहीं चीन और जापान के कुछ इलाकों से इसे साफ़ और पूरा देख पाने की ख़बरें आई हैं.
भारत में आगरा, इलाहाबाद, कुरुक्षेत्र, वाराणसी, पूर्णिया, गुवाहाटी आदि शहरों से लोगों के सूर्यग्रहण को देखे जाने की ख़बरें मिली हैं.
भारत में इसे देखने के लिए सबसे बेहतर जगह बताई गई थी पटना के पास का तरेगना गाँव जहाँ यह ग्रहण तीन मिनट 48 सेकेंड के लिए नज़र आना था पर तारेगना में मौजूद बीबीसी संवाददाता मणिकांत ठाकुर ने बताया कि तारेगना में पूरब दिशा में घने बादल छाए रहे।
एक स्थानीय अस्पताल की छत पर बनाए गए ऑब्ज़र्वेशन सेंटर पर 400-500 की तादाद में पत्रकार और वैज्ञानिक मौजूद रहे. 50 से ज़्यादा विदेशी वैज्ञानिक और पत्रकार भी पहुंचे पर बादलों ने उनके प्रयासों पर पानी फेर दिया है.
सूर्यग्रहण की शुरुआत - भारतीय समयानुसार सुबह पांच बजकर 29 मिनट के आसपास हुई पूर्ण सूर्यग्रहण छह बजकर 24 मिनट के आसपास थी और सूर्यग्रहण का समापन- सुबह लगभग साढ़े सात
21वीं सदी के इस अंतिम पूर्ण सूर्यग्रहण के बाद अब वर्ष 2114 में ऐसा मौक़ा आएगा. इसका मतलब ये हुआ कि पृथ्वी पर जीवित लोगों में शायद ही कोई इतना दीर्घ जीवी होगा जिन्हे दोबारा ऐसा पूर्ण सूर्यग्रहण देखने का मौक़ा मिल सकेगा.









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