प्रगति के साथ प्रगति का लक्ष्य निर्धारित हो- फादर लोम्बार्डी
वाटिकन सिटी, 20 जुलाई, 2009 । मानव के चंद्रमा में पहुचने के 40वें वर्षगाँठ पर बोलते
हुए वाटिकन के प्रवक्ता फादर लोम्बार्डी ने कहा कि आज मानव की प्रगति के लक्ष्य को निर्धारित
करने की ज़रूरत है।
जेस्विट फादर लोम्बार्डी ने उक्त बातें उस समय कहीं जब वे
वाटिकन टेलिविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम ' ओक्तावा दियेस ' में नील आर्मस्ट्रोंग द्वारा
20 जुलाई सन् 1969 में अपोलो 11 मिशन के द्वारा चांद में पहली बार पहुँचने के बारे में
टिप्पणी कर रहे थे।
जेस्विट फादर लोम्बार्डी ने बताया कि जब पहली बार नील आर्मस्ट्रोंग
चंद्रमा में कदम रख कर लौटे तब तत्कालीन पोप पौल षष्टम् के साथ 16 अक्टुबर सन् 1969 को
उनकी मुलाक़ात का विशेष इंतज़ाम किया गया था।
नील आर्मस्ट्रोंग ने संत पापा
को 48 पौंड का एक पत्थर भेंट स्वरूप दिया था जिसे आज भी कास्तेल गंदोल्फो के वेधशाला
में रखा गया है।
प्रवक्ता ने इस बात को भी याद किया कि 40 साल पहले संत पापा ने
कहा कि मानव का चंद्रमा में कदम रखना विश्व के लिये एक मह्त्वपूर्ण ऐतिहासिक दिन है।
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि संत पापा कलीसिया के प्रतिनिधि के रूप में सदा ही मानव
की प्रगति में आध्यात्मिक रूप से अपना साथ और प्रोत्साहन देते रहे हैं।
फादर लोम्बार्डी
ने कहा कि यह मानव की एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी फिर भी सबसे बड़ी विजय तो तब होगी जब मानव
भूख और हिंसा पर विजय प्राप्त कर लेगा और एक शांतिपूर्ण विश्व और सार्वजनिक हित के लिये
कार्य करेगा।
इस अवसर पर संत पापा के प्रवक्ता ने इस बात को भी याद किया कि ठीक
इसी समय संत पापा ने ' पोपुलोरुम प्रोग्रेसियो ' अर्थात् ' मानव की प्रगति ' नामक दस्तावेज़
कलीसिया देकर इस बात को स्पष्ट किया था कि मानव की प्रगति तब ही सही मानी जा सकती है
जब इससे मानव की सच्ची सेवा हो।
उन्होंने संत पापा के हाल में प्रकाशित दस्तावेज़
' कारितास इन वेरिताते ' अर्थात् ' उदारता में सत्य ' के बारे में बोलते हुए कहा कि
यह भी मानव की प्रगति के बारे में है जिसमें उन्होंने कहा कि मानव तकनीकि और विज्ञान
का गुलाम नहीं बन सकता है।
मानव को इस बात को ध्यान देना ही होगा कि उसके विकास
में उदारता और सत्य को उचित स्थान मिलता हो।