नयी दिल्ली, 20 जुलाई, 2009। संत पापा के द्वारा हाल में प्रकाशित दस्तावेज़ ' कारितास
इन वेरिताते ' ने भारत में चल रहे आउटसोरसिंग उद्योगों पर कार्य कर रहे लोगों पर डर पैदा
कर दिया है।
उक्त बातें बताते हुए भारत में आउटसोर्सिंग उद्योगों के अग्रणी कार्यकर्त्ता
रमन रोय ने यह भय व्यक्त किया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि संत पापा इस उद्योग से हो
रहे कु्प्रभावों के बारे में चेतावनी दे रहें हैं।
अपने दस्वावेज़ कारितास इन
वेरिताते में संत पापा ने कहा कि आउटसोर्सिंग के नाम से जाने जाने वाले इस उद्योग ने
उत्पादन के हितधारकों के प्रति उत्तरदायित्व की कंपनी की भावना को कमजोर किया है - विशेषकर
मजदूरों के आपूर्तिकर्ताओं, उपभोक्ताओं, प्राकृतिक पर्यावरण और व्यापक समाज के प्रति।
ज्ञात
हो कि आउटसोर्सिंग उद्योग-धन्धे 50 खरब का व्यापार है। इस उद्योग से जुड़े लोगों का डर
है कि आउटसोर्सिंग उद्योग जो पहले ही अमेरिका में सवालों के घेरे में आ गया था संत पापा
के टिप्पणी के बाद और ही ज़्यादा विवादास्पद हो जायेगा।
उनका मानना है कि संत
पापा ने आउटसोर्सिंग उद्योग धन्धे के विरुद्ध में बातें तो करते हैं पर वे इसे स्पष्ट
नहीं करते हैं। एक समाजवैज्ञानिक के अनुसार संत पापा की टिप्पणी अस्पष्ट है।
इस
पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संत दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष डॉ. विन्सेंट एम. कोनचेस्सो
ने कहा है कि कलीसिया किसी देश विशेष के लाभ के लिये बातें नहीं करती है।
उनके
अनुसार कलीसिया आउटसोर्सिंग उद्योग का समर्थन करती है पर यह भी बताना चाहती है कि आउटसोर्सिंग
उद्योगों से जुड़े कम्पनियों को चाहिये कि वे अपने कर्मचारियो की सुरक्षा का भी ख्य़ाल
करे।