देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश
श्रोताओ रविवार 12 जुलाई को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण
में एकत्रित देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्य़टकों को देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ करने से पूर्व सम्बोधित करते हुए कहाः-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
हाल
के दिनों में प्रत्येक जन का ध्यान ला अक्विला में आयोजित जी 8 शिखर सम्मेलन पर था, वह
शहर जो भूकम्प के कारण बहुत पीडित रहा है। सम्मेलन की कार्य़सूची के कुछेक मुददे बहुत
ही महत्वपूर्ण और जरूरी थे। संसार में सामाजिक असमानता और संरचनात्मक अन्याय हैं जिन्हें
अब और सहन नहीं किया जा सकता है, यह सही और पर्याप्त शीघ्र हस्तक्षेप की माँग करता है,
संयोजित रणनीति ताकि दीर्घकालीन सामान्य समाधान प्राप्त किये जा सकें। शिखर बैठक के दौरान
जी 8 के सदस्य राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों या सरकारों के प्रमुखों ने पुनः मानवजाति
के लिए बेहतर भविष्य का आश्वासन देने हेतु सामान्य समझौते के बिन्दुओं तक पहुँचने की
जरूरत पर बल दिया।
कलीसिया के पास वर्तमान स्थिति के लिए तकनीकि समाधान नहीं
है। वह मानवता संबंधी विषय में विशेषज्ञ होने के कारण पवित्र धर्मशास्त्र की शिक्षाओं
में मानव के बारे में जो सत्य है उसे सब लोगों को अर्पित करती तथा प्रेम और न्याय के
सुसमाचार की उदघोषणा करती है। पिछले बुधवार, आमदर्शन समारोह के अवसर पर कारितास इन वेरिताते
विश्वपत्र पर टिप्पणी करते हुए- विश्वपत्र जो कि जी 8 शिखर सम्मेलन की पूर्वसंध्या पर
प्रकाशित किया गया था, मैंने कहा कि नयी आर्थिक योजना की जरूरत है जो वैश्विक तरीके से
विकास को नया रूप प्रदान करे। यह योजना ईश्वर और ईश्वर की सृष्टि, मानव के सामने उत्तरदायित्व
की बुनियादी नैतिकता पर स्वयं को आधारित करे। जैसा कि मैंने विश्वपत्र में लिखा है- यह
इसलिए क्योंकि तेजी से भूमंडलीकृत होते विश्व में सार्वजनिक हित और इसे प्राप्त करने
का प्रयास सम्पूर्ण मानव परिवार के पहलुओं को धारण करने में विफल नहीं हो सकता है।
महान
संत पापा पौल षष्टम ने पहले ही पोपुलोरूम प्रोग्रेशियो विश्वपत्र में सामाजिक सवाल के
वैश्विक क्षितिज को पहचानते हुए इसे इंगित किया था। इसी पथ पर चलते हुए मैंने भी इस प्रकार
का सवाल, जो वर्तमान युंग में मूलभूत मानवशास्त्रीय सवाल बन गया है, कारितास इन वेरिताते
को इस अर्थ में समर्पित करने की जरूरत की ओर इंगित किया ताकि मानव को धारण करने का यह
पथ, स्वयं ही आधुनिक जैवतकनीकि के द्वारा इंसान के हाथ में अधिक से अधिक रखा गया है।
मानवजाति के सामने प्रस्तुत वर्तमान समस्याओं का समाधान मात्र तकनीकि न हो लेकिन जब व्यक्ति
जिसे आत्मा और शरीर प्रदान किया गया है उसकी जरूरतों पर विचार करें तो अपने चिंतनों में
सृष्टिकर्ता भगवान को शामिल करे। तकनीकि की निरंकुशता, जो अपनी सर्वोच्च अभिव्यक्ति कुछेक
अभ्यासों में पाती है और जो जीवन के प्रतिकूल है, मानवजाति के भविष्य के लिए निराशाजनक
दृश्य बना सकती हैं। वैसे कार्य जो मानव की सच्ची प्रतिष्ठा का सम्मान नहीं करते हैं
यद्यपि ऐसे प्रतीत होते हैं मानो प्रिय निर्णय पर आधारित हैं लेकिन वे वास्तव में मानव
जीवन के बारे में भौतिकतावादी और मशीनी समझ के फल हैं जो प्रेम को सत्यरहित कर खाली खोल
जो स्वेच्छाचारी तरीके से भरा गया है, के समान बना देती है तथा इस तरह समग्र मानव विकास
के लिए नकारात्मक परिणामों की ओर अग्रसर कर सकती हैं।
संसार में वर्तमान समय
की विषमताओं के बावजूद कलीसिया भविष्य की ओर आशा के साथ देखती है तथा ईसाईयों को स्मरण
कराती है कि ख्रीस्त की उदघोषणा ही विकास का प्रथम और मुख्य कारक है। आज के ख्रीस्तयाग
के दौरान कलीसिया हमें प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करती है पिता हमें प्रदान करें
कि आपके पुत्र से कहीं अधिक आसक्ति किसी अन्य वस्तु के प्रति न हों, वे जो संसार के लिए
आपके प्रेम के रहस्य और मानव की सच्ची प्रतिष्ठा के रहस्य को प्रकट करते हैं। कुँवारी
माता मरियम हमारे लिए यह कृपा प्राप्त करें ताकि विकास के पथ पर हम सारे दिल और बुद्धि
से चलें अर्थात् सत्य का विवेक और उदारता के उत्साह सहित चल सकें।
इतना कहकर
संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान
किया।