2009-07-04 12:10:36

विकास की समस्या के समाधान के लिये नैतिक उपाय आवश्यक


न्यूयार्क, 2 जुलाई, 2009। संत पापा के प्रतिनिधि धर्माध्यक्ष चेलेस्तिनो मिल्योरे ने कहा है कि ग़रीब और कमजोर राष्ट्रों को  आर्थिक मंदी के समय उचित मदद की जानी चाहिये और एक नैतिक समाधान खोजा जाना चाहिये ताकि इसके सकारात्मक दूरगामी परिणाम हो सकें।

उक्त बातें सयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष मिलयोरे ने उस समय कहीं जब वे 26 जून को विश्व आर्थिक मंदी की समस्या और विकास पर इसके कुप्रभाव विषय पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये।

उन्होंने आगे कि हमें इस बात को कदापि नहीं भूलना चाहिये कि पूरे विश्व में गरीब और निम्न वर्ग के लोग रहते हैं चाहे वे विकसित देश हों या विकासशील देश उनके हितों की रक्षा हर हाल में की जानी चाहिये।

उन्होंने यह भी बताया कि आज विश्व में करीब 90 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और जिस गति से उनकी संख्या में वृद्धि हो रही उससे यही अनुमान लगाया जा सकता है कि उनकी संख्या इस वर्ष के अंत तक 1 अरब हो जायेगी।

महाधर्माध्यक्ष मिलयोरे ने कहा कि आज यह हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी है कि हम न्याय के लिये कार्य करें और आपसी सहयोग से समस्या का समाधान करें।

उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि हमें गरीबी की समस्या के निदान के लिये तुरन्त कदम उठाना तो है ही इसके साथ कुछ ऐसी योजनायें बनानी चाहिये ताकि भविष्य में होने वाली समस्याओं का भी समाधान हो सके।

इस अवसर पर बोलते हुए महाधर्माध्यक्ष ने 20 राष्ट्रों के द्वारा लंदन में किये सम्मेलन की सराहना की  और कहा कि वे ग़रीबो के विकास के लिये  एक खरब डॉलर की राशि का योगदान करें।

उन्होंने आगे कहा कि गरीब और निचले वर्ग के लोगों के भोजन की व्यवस्था के लिये तुरन्त कदम उठाया जाना चाहिये।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि समस्या को नैतिक  तरीके से देखा जाना चाहिये और इसके समाधान में आम लोगों की सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहिये तब ही गरीबी की समस्या का समाधान हो पायेगा।










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