2009-07-03 14:56:54

समलैंगिक संबंधों को वैध घोषित ठहराए जाने के खिलाफ धर्माध्यक्षों की प्रतिक्रिया


भारत में काथलिक कलीसिया के नेताओं ने वयस्कों के बीच परस्पर सहमति से बने समलैंगिक संबंधों को वैध घोषित ठहराए जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता फदर बाबू जोसेफ ने न्यायलय के निर्णय पर क्षोभ और दुःख प्रकट करते हुए कहा कि हम इस निर्णय को न्यायालय में चुनौती देंगे। कलीसियाई नेताओं को आशा है कि देश की सर्वोच्च अदालत इस निर्णय को बदल देगी। ज्ञात हो कि समलैंगिक संबंधों पर 2 जुलाई को एक ऐतिहासिक आदेश सुनाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है. दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ए पी शाह और न्यायाधीश एस मुरलीधर ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 वैध नहीं है. इससे संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होता है जो हर नागरिक को ज़िंदगी और स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार देता है. न्यायालय ने कहा है कि जब तक संसद इस क़ानून में संशोधन नहीं करती तब तक ये आदेश लागू रहेगा.







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