चर्च और राज्यों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध संभव - पोप
वाटिकन सिटी, 28 जून, 2009। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा धर्म राष्ट्रीय एकता में
किसी प्रकार की बाधा पैदा नहीं कर सकता है अगर कलीसिया और राष्ट्रों संबंध सौहार्दपूर्ण
हों।
संत पापा न उक्त बातें उस समय कहीं जब वे वियेतनाम के धर्माध्यक्षों को
शनिवार को संबोधित किया ।
संत पापा ने कहा है कि वियेतनाम में चर्च और राजनीतिक
समुदाय के बीच सद्भावना पूर्ण संबंध संभव है और इस संबंध से देश की एकता मजबूत हो सकती
है।
चर्च सब ईसाइयों को इस बात के लिये आमंत्रित करती है कि वे पूरे समर्पण से
देश के निर्माण में अपना योगदान दे ताकि एक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण हो सके।
संत
पापा ने इस बात पर भी बल दिया कि चर्च यह कभी नहीं चाहती है कि सरकारी अधिकारियों के
अधिकारो का किसी भी प्रकार से हनन नहीं करना चाहती है पर चाहती है कि वह देश का पूरा
सम्मान करते हुए की प्रगति में अपना योगदान दे।
संत पापा ने कहा कि वियेनाम के
लोकधर्मियों को इस बात के लिये प्रोत्साहन दिया कि वे उन्हें चाहिये कि वे एक अच्छे
काथलिक के रूप में ईमानदारीपूर्वक सार्वजनिक हित के लिये कार्य करें।
पारिवारिक
मूल्यों के महत्त्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक काथलिक परिवार को चाहिये
कि वे अपने अंतःकरण की आवाज़ सुनें और सत्य और प्रेम के लिये कार्य करें।
संत
पापा ने कलीसियाई दस्तावेज़ दियुस कारितास एस्त का हवाला देते हुए यह भी कहा कि ऐसी
स्थिति कभी नहीं आ सकती है कि लोगों को प्रेम की आवश्यकता न हो।
इस अवसर पर उन्होंने
यह भी कहा कि अंतरधर्मप्रांतीय सहयोग और अंतरधर्मसमाजीय सहयोग की आवश्यकता है ताकि समाज
की चुनौतियों का सामना किया जा सके।
युवाओं के बारे में बोलते हुए संत पापा ने
कहा कि जो युवा गाँव से शहरों की ओर जाते हैं उनकी देख-रेख भी उचित तरीके से होनी चाहिये।