2009-06-25 12:49:40

बच्चों और युवाओं को हिंसा का शिकार न बनायें - पोप


वाटिकन सिटी, 24 जून, 2009 । संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा कि पुरोहित येसु के सेवक है जिन्होंने खुद को ही अपने आपको सेवक बनाया दिया और मानव रूप धारण कर दुनिया में आये।

संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के समय संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में उपस्थित लोगों को आने वाले पुरोहित बर्ष के बारें में लोगों को बता रहे थे।

उन्होंने बताया कि पुरोहितों के लिये संत योहन मेरी वियन्नी ही आर्दश होना चाहिये जिन्होंने अपने पुरोहितीय जीवन को पूरी ईमानदारी से निभाया।

संत पापा ने आगे कहा कि पुरोहितों को दो बातों को ध्यान देना चाहिये पहली की यूखरिस्तीय बलिदान और दूसरा सुसमाचार प्रचार।

उन्हें यह भी याद करना चाहिये कि ये दोनों कार्य एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं पर एक दूसरे पूरक हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा कि सुसमाचार का प्रचार का अर्थ सिर्फ़ यह न हो कि यह एक प्रवचन है पर वे सब कार्य हैं जो हम सुसमाचार क के प्रचार के लिये करते हैं और वे सारे प्रतीक चिह्न जिसे हम यूखरिस्तीय समारोह में व्यवहार में लाते हैं।

येसु के सुसमाचार का प्रचार का अर्थ यह हो कि हम दूसरा येसु मसीह बनें ताकि वे भी संत पौल की तरह कह सकें कि अब मैं नहीं जीता हूँ पर येसु ख्रीस्त मुझमें जीते हैं और लोगों के लिये कार्य करते हैं।

इस अवसर पर संत पापा ने जोन बपतिस्ता की याद कराते हुए कहा कि हर एक पुरोहित को ईश्वर की आवाज़ बनना है।

पुरोहितीय जीवन ऐसा हो कि पुरोहित ईश्वर और दुनिया के लिये अपना बलिदान करे और येसु के साथ उसके पास्का बलिदान मे एक हो जाये। पुरोहितों को चाहिये के संत जोन बपतिस्ता के समान यह सोच कर कार्य करें कि वे घटें और उनके जीवन में येसु बढ़ें।




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