2009-06-22 12:45:17

देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, रविवार 22 जून को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने दक्षिण इटली स्थित सान जोवानी रोतोन्दो नगर का दौरा कर लोकप्रिय सन्त पियो के अवशेषों के प्रति श्रद्धान्जलि अर्पित की। सन्त पियो काथलिक कलिसिया के सर्वाधिक लोकप्रिय सन्तों में हैं जिनकी हथेलियों एवं पैरों में क्रूसित प्रभु येसु के घाव बने थे जिनसे रक्त बहा करता था। 41 वर्षों पूर्व, 81 वर्ष की आयु में, धर्मपरायण फादर पियो का निधन हो गया तब तक उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश काल सान जोवानी रोतोन्दो नगर के एक कैपुचिन धर्मसमाजी मठ में बिताये।

सन् 2002 में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने फादर पियो को सन्त घोषित कर काथलिक कलीसिया में वेदी का सम्मान प्रदान किया था। विगत वर्ष फादर पियो के पार्थिव शव को उनकी समाधि से पुनः निकाला गया था तथा लोकभक्ति के लिये सान जोवानी रोतोन्दो के महागिरजाघर में रखा गया था। प्रति वर्ष लगभग सत्तर लाख तीर्थयात्री सन्त पियो के दर्शन हेतु सान जोवानी रोतोन्दो आते हैं। नगर में तीर्थयात्रियों के लिये बनाई गई होटलें, रेस्तोराँ, दूकानें आदि ही इसकी जीविका के साधन बन गये हैं।

इताली काथलिक पत्रिका फामिलिया क्रिस्तीआना द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार इटली के काथलिक धर्मानुयायी किसी और सन्त की अपेक्षा पियात्रेलचीना के सन्त पियो से प्रार्थना करना अधिक पसन्द करते हैं। सन्त पियो की तस्वीरों को घरों में, होटलों में तथा टैक्सियों एवं कारों में लगी देखा जा सकता है। विश्वव्यापी स्तर पर सन्त पियो के लगभग तीन हज़ार प्रार्थना दल हैं जिनके तीस लाख सदस्य हैं। रविवार को सन्त पापा ने सन्त पियो के अवशेषों पर श्रद्धान्जलि अर्पित की तथा ख्रीस्तयाग के लिये एकत्र हज़ारों तीर्थयात्रियों से कहा कि सन्त पियो दीन हीन कुल के एक बहुत साधारण एवं सरल इन्सान थे जिन्होंने अपने आध्यात्मिक वरदानों का उपयोग ईश्वर की सेवा में कर डाला।

रविवारीय ख्रीस्तयाग के बाद सन्त पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिससे पूर्व उन्होंने भक्तों को इस प्रकार सम्बोधित कियाः

“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
इस भव्य समारोह के बाद मैं आप सबको प्रति रविवार की तरह अपने साथ मरियम के आदर में देवदूत प्रार्थना के लिये आमंत्रित करता हूँ। पियात्रेलचीना के सन्त पियो के पुण्य तीर्थ पर हम मानों उन्हीं की आवाज़ सुन रहे हैं जो हमसे आग्रह कर रही है कि हम बाल सुलभ हृदय से धन्य कुँवारी मरियम से विनती करें, वे कह रहे हैं – "धन्य कुँवारी से प्रेम करो तथा अन्यों को उनसे प्रेम करने के लिये प्रेरित करो।" वे ऐसा ही सबसे कहते रहे तथा कहने से अधिक उन्होंने अपने जीवन साक्ष्य द्वारा स्वर्गिक माता के प्रति अपनी भक्ति को अभिव्यक्ति प्रदान की। असीसी के विनम्र विश्वासी फ्राँसिस नाम से पियत्रालचीना स्थित स्वर्गदूतों की रानी मरियम को समर्पित गिरजाघर में बपतिस्मा ग्रहण करने के बाद उन्होंने मरियम के प्रति अपने हृदय में बसे सुकुमार प्रेम को विकसित किया। ईश कृपा से बाद में उन्होंने यहाँ, कृपामय माता मरियम के तीर्थ अर्थात् सानजोवानी रोतोन्दो का रुख किया जहाँ वे अपनी मृत्यु तक रहे तथा आज जहाँ उनके पवित्र अवशेष सुरक्षित हैं। अस्तु, उनका सम्पूर्ण जीवन एवं सम्पूर्ण प्रेरिताई मरियम की ममतामयी निगाहों के अधीन तथा उनकी मध्यस्थता की शक्ति से सम्पन्न हुई। कासा सोलियेवो देल्ला सोफेरेन्सा अर्थात् पीड़ा से उभरने के लिये निर्मित आवास को उन्होंने, "रोगी का स्वास्थ्य", मरियम का कार्य माना। अस्तु, प्रिय मित्रो, पाद्रे पियो के जीवन का उदाहरण ग्रहण कर, आज, मैं भी आप सबको ईश माता मरियम के संरक्षण के सिपुर्द करना चाहता हूँ। विशेष तौर पर, कैपुचिन धर्मसमाजी समुदाय, अस्पताल के रोगियों तथा प्रेमपूर्वक उनकी देखरेख करनेवालों के लिये और साथ ही इटली तथा सम्पूर्ण विश्व में पाद्रे पियो की प्रेरिताई को आगे ले जाने वाले प्रार्थना दलों के लिये, मैं, मरियम को पुकारता हूँ।"

सन्त पापा ने आगे कहाः ......."पुरोहितों को समर्पित इस वर्ष को मैं माँ मरियम तथा पियेत्रेलचीना के सन्त पियो की मध्यस्थता के सिपुर्द करना चाहता हूँ जिसका उदघाटन मैंने येसु के पवित्रतम हृदय के पर्व के दिन विगत शुक्रवार को किया था। मेरी हार्दिक कामना है कि यह वर्ष, तृतीय सहस्राब्दि की कलीसिया एवं मानवजाति की सेवा में, पुरोहितों के मिशन एवं उनकी पवित्रता के मूल्य को प्रकाशित करने का सुअवसर सिद्ध हो।"

सन्त पापा ने कहाः................. "आज हम शरणार्थियों की कठिन और कभी कभी त्रासदिक हो जानेवाली स्थिति के लिये प्रार्थना करें। कल ही हमने, संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में घोषित, विश्व शरणार्थी दिवस मनाया। ऐसे अनेक लोग हैं जो युद्ध, उत्पीड़न एवं प्राकृतिक आपदाओं के के कारण अन्य देशों की ओर पलायन करते हैं जिनकी स्वीकृति में अनेक रोड़े आते हैं तथापि इन्हें आतिथेय प्रदान करना हमारा दायित्व है। हे प्रभु, ऐसा कर कि सबके समर्पण से, हम इस दुखद तथ्य के कारणों के उन्मूलन का हर सम्भव प्रयास करें।"

अन्त में सन्त पापा ने कहाः .......... "सस्नेह मैं यहाँ उपस्थित सभी तीर्थयात्रियों का स्वागत करता हूँ। सभी नागर अधिकारियों, तथा जिन्होंने मेरी यात्रा को सफल बनाने में मदद दी, उन सबके प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूँ। आपका बहुत बहुत शुक्रिया। सबसे मेरा अनुरोध है कि आप उस पथ पर चलें जिसे फादर पियो ने तैयार किया है और वह है प्रभु येसु के सुसमाचार के अनुकूल, पवित्रता का पथ। इस पथ पर पवित्र कुँवारी मरियम हमेशा आपके आगे आगे चलेंगी तथा ममता भरे हाथ से आपका हाथ पकड़ कर वे आपको स्वर्गिक धाम तक ले जायेंगी।"

इस मंगल कामना के बाद, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया।







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