2009-06-17 12:41:49

साप्ताहिक आम दर्शन समारोह के अवसर पर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा जारी धर्मशिक्षा


रोम स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के समक्ष बुधवारीय आम दर्शन समारोह के समय अपनी धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए सन्त पापा ने कहाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

पूर्व तथा पश्चिम के आरम्भिक ख्रीस्तीय लेखकों पर अपनी धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हुए अब हम दो सन्त भाइयों अर्थात् सन्त सिरिल एवं सन्त मैथोदियुस की ओर अभिमुख होते हैं। उनका जन्म, नवीं शताब्दी के आरम्भ में, थेसालोनिका में हुआ था। सिरिल ने, जिनके बपतिस्मा का नाम कॉन्सटेनटाईन था, बिज़ेटाईन दरबार में शिक्षी पाई, पुरोहित अभिषिक्त हुए तथा पवित्र एवं लौकिक विज्ञानों के सम्मानित शिक्षक बने। जब उनके भाई माईकिल, मैथोदियुस का नाम धारण कर, मठवासी बने तब सिरिल ने भी मठवासी जीवन का आलिंगन करने का निर्णय ले लिया। क्रिमिया में एक मिशन के दौरान जब उन्होंने सन्त पापा केलेमेन्त प्रथम के अवशेषों को पुनः प्राप्त किया तब इन भाइयों ने मोराविया के लोगों में सफलतापूर्वक ख्रीस्तीय धर्म का प्रचार किया। स्लावोनियाई भाषा के लिये एक वर्णमाला की खोज कर उन्होंने अपने शिष्यों के साथ मिलकर धर्म विधि, बाईबिल एवं पूर्वाचार्यों के पाठों का अनुवाद तैयार किया और ऐसा कर स्लावी जनता की संस्कृति को आकार दिया तथा सांस्कृतिकरण का एक उत्कृष्ट आदर्श प्रस्तुत किया। सन्त पापा एड्रियन द्वितीय ने उनसे रोम में मुलाकात की तथा उनके मिशनरी कार्यों को प्रोत्साहन प्रदान किया।
सन् 869 में जब सिरिल का निधन हो गया तब, उत्पीड़न के बावजूद, मेथौदियुस ने अपना मिशन जारी रखा। सन् 885 में उनकी मृत्यु के बाद, संयोगवश दासता से मुक्त हुए, उनके कुछ शिष्यों ने बुलगारिया तथा रूस की भूमि में सुसमाचार का प्रचार किया। इन भाइयों के महान प्रभाव को सम्मानित करते हुए सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने इन्हें यूरोप के सह-संरक्षक सन्त घोषित किया था। अपने दैनिक जीवन में सुसमाचार के साक्षी बनते हुए हम उनके दृढ़ विश्वास एवं उनकी ख्रीस्तीय प्रज्ञा का अनुसरण करें।








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