2009-06-15 13:09:33

हिन्दु और ईसाई धर्मगुरुओं की ऐतिहासिक वार्ता


मुम्बई, 15 जून, 2009। हिन्दु और ईसाई धर्मगुरुओं ने एक ऐतिहासिक वार्ता में अंतरधार्मिक संबंध को मजबूत करने के लिये एक समझौता की खाका तैयार की है जिसे ' मुम्बई समझौता 2009 ' के नाम से जाना जायेगा।
उच्चस्तरीय धर्मगुरुओं की सभा में जिन प्रमुख बातों पर सहमति बनी है वह है कि अल्पसंख्यकों पर हिंसा न हो और दूसरी है बलपूर्वक धर्मपरिवर्त्तन न हो। दोनों धर्म समाज सेवा और मानव कल्याण के कार्यों के द्वारा एक-दूसरे से जुड़े रहें।
सभा के बारे में जानकारी देते हुए मुम्बई के कार्डिनल ऑस्वाल्ड ग्रेशियस ने कहा कि चर्च न तो बलपूर्वक धर्मपरिवर्त्तन करती है न वह चाहती है की ऐसा करें।
हिन्दु समुदाय के प्रतिनिधि स्वामी जायेन्दा सरस्वती ने कहा कि अल्पसंख्यकों के प्रति किसी भी हिंसा का वे खुलकर विरोध करते हैं।
अंतरधार्मिक वार्ता के लिये बनी परमधरमपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जाँन लुइस पी तौरान ने कहा कि वार्ता दोनों समुदायों की ओर से एक सकारात्मक पहल है और वे आशा करते हैं कि इससे दोनों समुदायों के बीच समझदारी बढ़ेगी और देश के लोग सौहार्दपूर्ण जीवन व्यतीत कर पायेंगे।
सभा का आयोजन मुम्बई के सायन के समुगानन्दम प्रेमिसेस में दो घंटों तक चली। इस सभा में हिन्दुओं की ओर से जयेन्द्रा सरस्वती काँची के शंकराचार्य कमलकोती मुत्त और श्री-श्री रविशंकर सहित 12 सदस्यों ने हिस्सा लिया।
उधर ईसाई समुदाय का प्रतिनिधित्व कार्डिनल तौरान कार्डिनल ऑस्वाल्ड ग्रेशियस राँची के कार्डिनल तेलेस्फोर टोप्पो, पुणे के धर्माध्यक्ष थोमस डाबरे और नासिक के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स मचादो हिस्सा लिया। ज्ञात हो कि वार्ता में उड़ीसा के कंधमाल में हुए ईसाइयों पर हिंसा का मुद्दा छाया रहा।








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