बुधवारीय- आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
बुधवारीय- आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
वाटिकन
सिटी, 10 जून, 2009 । बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत
पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं
में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा - प्रिय भाइयो एवं
बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला में हम जोन स्कोतुस एरिजिना के बारे में मनन चिन्तन करें।
जोन स्कोतुस कारोलिन्जिन काल में एक महान् ख्रीस्तीय विचारक के रूप में जाने
जाते थे।
जोन स्कोतुस पूर्व के पैटरिस्टिक ईशशास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान दियोनिसियुस
से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने न इसका गहन अध्ययन किया बल्कि इसका अनुवाद लैटिन भाषा
में किया।
जोन स्कोतुस एरिजिना के अनुसार व्यक्ति को सत्य की खोज़ तबतक करनी
चाहिये जब तक कि वह ईश्वर को न पा ले और वह उसकी भक्ति में लीन न हो जाये।
उन्होंने
लोगों को यह बताया कि हम ईश्वरीय अनुभव को शब्दों में पूर्णतः व्यक्त नहीं कर सकते हैं
इसलिये जब हम ईश्वर के बारे में बताते हैं तो हमें इस बात को बता पाना चाहिये कि क्या
ईश्वर नहीं है।
उन्होंने कहा कि पवित्र धर्मग्रंथ हमें ईंश्वर को समझने में हमारी
सहायता करता हैं क्योंकि आरंभ से ही ईश्वर का आत्मा हमारे दिल में निवास करता है।
आदि
पाप के कारण हमारी आत्मा ईश्वर को देख नहीं पाती है पर धर्मग्रंथ को पढ़ने से हमारे मन
की आँखें खुल जाती हैं और हम ईश्वर को पहचानने लगते हैं और उनके साथ जुड़े रहना चाहते
हैं।
आज, आइये हम ईश्वर की ओर लौटें, ईश-वचन पर मनन-ध्यान करें और ईश्वरीय कृपा
को ग्रहण करें।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने
अमेरिका के सेमिनेरियनों, पाकिस्तान के कराची धर्मप्रांत के तीर्थयात्रियों, उपस्थित
लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।