न्यू यॉर्कः ईराकी धर्माध्यक्ष मरणोपरान्त शांति पुरस्कार के लिये चुने गये
ईराक के काथलिक महाधर्माध्यक्ष पौलोस राहो को धार्मिक स्वतंत्रता एवं अन्तरसांस्कृतिक
सहिष्णुता को प्रोत्साहन देने के लिये सन् 2009 के "पाथ टू पीस" पुरस्कार के लिये चुना
गया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक तथा पाथ टू
पीस न्यास के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तीनो मिलियोरे ने सोमवार को यह घोषणा की कि
इस वर्ष का उक्त पुरस्कार ईराक के मोसुल शहर में हत्या के शिकार खलदैयी ख्रीस्तीयों के
धर्माधिपति महाधर्माध्यक्ष पौलोस राहो को मरणोपरान्त उनके कार्यों को सम्मानित करने के
लिये दिया जा रहा था।
पौलोस राहो का जन्म मोसुल में सन् 1942 ई. को हुआ था। अपने
पुरोहिताभिषेक के बाद उन्होंने मोसुल में ही विकलांग एवं अनाथ बच्चों के लिये एक आश्रम
की स्थापना की थी तथा कई तरह से युद्ध पीड़ित मोसुल के लोगों की सहायता कर रहे थे।
सन्
2001 में उन्हें मोसुल का महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया था। मोसुल की दस पल्लियाँ
एवं लगभग 20,000 काथलिक धर्मानुयायी उनकी प्रेरितिक देखरेख के अधीन थे।
वाटिकन
न्यास की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि महाधर्माध्यक्ष ने ईराकी संविधान में शरिया को
सम्मिलित किये जाने का विरोध किया था तथा सभी लोगों के बीच सहिष्णुता पर बल दिया था।
ग़ौरतलब है कि फरवरी सन् 2008 में महाधर्माध्यक्ष राहो का अपहरण कर लिया गया
था तथा 13 मार्च को उनका शव एक कब्र के पास पाया गया था। महाधर्माध्यक्ष राहो की आयु
65 वर्ष थी।