बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश
संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में 27 मई को सम्पन्न
बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में सम्बोधित करते हुए कहाः-
अतिप्रिय
भाईयो और बहनो,
आज की धर्मशिक्षा माला में संत थ्योदोर स्टूडिट का जीवन और उनकी
शिक्षा हमें मध्ययुगीन बैजेन्टाइन युग के केन्द्र में रखती है। एक कुलीन और धार्मिक परिवार
में सन 759 को जन्मे थ्योदोर ने 22 वर्ष की आयु में मठ में प्रवेश किया। उन्होंने आइक्नोक्लास्टिक
अभियान का घोर विरोध किया क्योंकि उनका दृढ़ मत था कि ख्रीस्त की प्रतिमाओं को समाप्त
करना उनके मुक्तिदायी कार्य से इंकार करना था। थ्योदोर ने मठवासी जीवन के अनुशासनात्मक,
प्रशासनिक और आध्यात्मिक पहलूओं में भी पूर्ण संशोधन के लिए पहल किया। उनके अनुसार एक
विशेष महत्वपूर्ण सदगुण है फिलेगरिया अर्थात् काम के प्रति प्रेम क्योंकि भौतिक कार्यों
में अध्यवसाय एक व्यक्ति के आध्यात्मिक कर्तव्य के प्रति समर्पण को भी दर्शाता है। थ्योदोर
ने बहुधा काम की व्याख्या एक प्रकार की पूजन पद्धति के रूप में किया और बल दिया कि इससे
प्राप्त समृद्धि का उपयोग निर्धनों की सहायता के लिए किया जाना चाहिए। आज हमारे लिए स्टूडिस
नियम विशेष रूप से प्रासंगिक हैं क्योंकि यह विश्वास की एकता तथा आध्यात्मिक व्यक्तिवाद
के ख़तरे का सामना करने की जरूरत को रेखांकित करता है। मेरी कामना है कि हम अपने सुव्यवस्थित
जीवन और पवित्र आत्मा में एक दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों का विकास करते हुए येसु
की देह की एकता को पोषण प्रदान करने के लिए थ्योदोर के आह्वान को सुन सकें।
इतना
कहने के बाद संत पापा ने तीर्थयात्रियों को अन्य भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने
समारोह के अंत में सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।