एशिया, यूरोप द्वारा उत्तर कोरिया के परीक्षण की निंदा
एशिया तथा यूरोप के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को उत्तरी कोरिया के परमाणु परीक्षण की
निन्दा करते हुए कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य अन्तरराष्ट्रीय सन्धियों का
स्पष्ट उल्लंघन है। एक वकतव्य में मंत्रियों ने उत्तरी कोरिया का आह्वान किया कि वह कूटनैतिक
वार्ताओं की मेज़ पर लौटे तथा परमाणु बम सम्बन्धी अपनी स्थिति स्पष्ट करे। उन्होंने
कहा कि वे शांतिपूर्ण ढंग से कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु अस्त्रों से मुक्त क्षेत्र
बनाने हेतु अपने समर्थन को पुष्ट करते हैं। इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
की आपात बैठक में सभी सदस्यों ने उत्तरी कोरिया के भूमिगत परमाणु परीक्षण की निंदा की
तथा फ्रांस ने उसके ख़िलाफ़ नए प्रतिबंध लगाये जाने की मांग की। अमरीका के राष्ट्रपति
बराक ओबामा ने उत्तर कोरिया के इस क़दम को अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए ख़तरा बताकर अंतरराष्ट्रीय
समुदाय से उत्तरी कोरिया के ख़िलाफ़ क़दम उठाने की अपील की है। उनका कहना था, ''उत्तरी
कोरिया का परमाणु और बोलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम विश्व शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा
ख़तरा है जिसकी मैं कड़ी भर्त्सना करता हूँ। उत्तरी कोरिया का यह क़दम पूर्वोत्तर एशिया
के लोगों को ख़तरे में डाल रहा है, यह अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है।'' ग़ौरतलब
है कि उत्तरी कोरिया ने सोमवार को भूमिगत परमाणु परीक्षण करके एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय
समुदाय को चिंता में डाल दिया है। उत्तरी कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार
ये परीक्षण अक्टूबर, 2006 में हुए परमाणु परीक्षण से कहीं अधिक शक्तिशाली था। एक परमाणु
शक्ति संपन्न देश का दर्जा पाने के प्रयास में उत्तरी कोरिया ने चार पूर्व अमरीकी राष्ट्रपतियों
की चेतावनियों की उपेक्षा करते हुए अपना परमाणु अस्त्र भंडार विकसित कर लिया है जिसमें
बताया जाता है लगभग आठ बम मौजूद हैं। उत्तरी कोरिया ने पहला परमाणु परीक्षण सन 2006
में किया था जिसकी विश्वव्यापी स्तर पर भर्त्सना हुई थी तथा उसके विरुद्ध प्रतिबंध भी
लगाए गए थे किन्तु ये बेअसर साबित हुए हैं। उत्तरी कोरिया के मित्र देश चीन सहित
अनेक देशों ने परमाणु परीक्षण की कड़ी निंदा की है किन्तु उत्तरी कोरिया के ख़िलाफ़ प्रतिबन्धों
पर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।