जैरूसालेमः नेतनयाहू के साथ बेनेडिक्ट 16 वें की मुलाकात मैत्रीपूर्ण
जैरूसालेम स्थित ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के अति पवित्रतम पुण्य स्थल अर्थात् येसु की
पवित्र समाधि से अपना सन्देश जारी कर शुक्रवार को काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16 वें जॉर्डन, इसराएल एवं फिलीस्तीनी प्रदेश में अपनी आठ दिवसीय यात्रा
समाप्त की। मध्यपूर्व में सन्त पापा की यह यात्रा यद्यपि ख्रीस्तीय धर्म के पुण्य स्थलों
की तीर्थयात्रा थी तथापि आध्यात्मिक रूपकों के साथ साथ यह अन्य धर्मों के साथ सम्वाद
तथा कूटनैतिक एवं राजनैतिक अर्थों से भी परिपूर्ण रही जिसका कारण इसराएली फिलीस्तीनी
संघर्ष हो सकता है।
गुरुवार को नाज़रेथ नगर में सम्पन्न सन्त पापा के कार्यक्रमों
पर यदि दृष्टिपात करें तो यह और भी अधिक स्पष्ट हो जाता है कि उनकी यात्रा से केवल ख्रीस्तीय
धर्मानुयायी ही नहीं बल्कि क्षेत्र के इस्लाम एवं यहूदी धर्मानुयायी भी प्रभावित रहे
हैं। विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के साथ साथ इस यात्रा ने सरकारी अधिकारियों को क्षेत्र
में व्याप्त जटिल राजनैतिक समस्याओं एवं तनावों पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति का मौका
दिया है।
बाईबिल धर्मग्रन्थ के अनुसार नाज़रेथ वह नगर है जहाँ येसु मसीह ने माता
मरियम तथा पिता योसफ के संग अपना बाल्यकाल व्यतीत किया था। इसी नगर में फ्राँसिसकन धर्मसमाज
के मठ में गुरुवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इसराएल के प्रधान मंत्री बेनजामिन
नेतनयाहू के साथ औपचारिक मुलाकात की।
वाटिकन के अनुसार दोनों नेताओं के बीच
मुलाकात मैत्रीपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई जिसके दौरान इसराएली फिलीस्तीनी शांति प्रक्रिया
को आगे बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया। तथापि मुलाकात के बाद टेलेविज़न पर प्रदर्शित
वकतव्य में प्रधान मंत्री नेतनयाहू ने शांति प्रकिया के बारे में कोई बात नहीं की बल्कि
बताया कि उन्होंने सन्त पापा से आग्रह किया है कि ईरान की इसराएल विरोधी घोषणाओं को रुकवाने
के लिये वे अपनी आवाज़ बुलन्द करें। नेतनयाहू ने बताया कि उन्होंने सन्त पापा से कहा
कि यह कदापि नहीं हो सकता कि 21 वीं शताब्दी के आरम्भ में कोई देश किसी अन्य देश को मिटा
डालने की बात कहे। विशलेषकों का मानना है कि फिलीस्तीनी प्रश्न पर पर्दा डालने के उद्देश्य
से नेतनयाहू ने सन्त पापा के साथ ईरान की बात उठाई। पूर्व इसराएली सरकारों के विपरीत
प्रधान मंत्री नेतनयाहू इसराएल एवं फिलीस्तीन के लिये दो अलग अलग देशों के निर्माण को
समाधान नहीं मानते हैं। इस समाधान को अनेक अरबी देश, अमरीका तथा वाटिकन का समर्थन प्राप्त
है।
सन्त पापा के साथ मुलाकात को उत्तम एवं महत्वपूर्ण निरूपित कर नेतनयाहू ने
पत्रकारों से कहा कि बेनेडिक्ट 16 वें विश्व के एक अरब ख्रीस्तीयों के धर्मगुरु हैं जिनके
साथ हम अच्छे सम्बन्ध रखना चाहते हैं।