2009-05-08 16:38:19

अम्मान स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाईअडडे पर आयोजित स्वागत समारोह में संत पापा का संदेश


जोर्डन की राजधानी अम्मान स्थित रानी आलिया अंतरराष्ट्रीय हवाईअडडे पर आयोजित स्वागत समारोह में सम्राट अबदुल्ला द्वितीय द्वारा स्वागत में कहे गये सम्बोधन के लिए संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने धन्यवाद देते हुए कहा कि वे परमाध्यक्ष चुने जाने के बाद पहली बार मध्यपूर्व की यात्रा कर रहे हैं और हसेमाईट किंगडम ओफ जोरडन की भूमि पर आकर बहुत प्रसन्न हैं जो ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत समृद्ध है, यह अनेक प्राचीन सभ्यताओं का घर है तथा यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म के लिए इसकी धार्मिक सार्थकता है। संत पापा ने सम्राट और शाही परिवार के सदस्यों, सरकार और सब नागरिकों के लिए अपनी मंगलकामनाएँ प्रकट करते हुए उपस्थित धर्माध्यक्षों का अभिवादन किया जो जोर्डन में अपनी मेषपालीय सेवा दे रहे हैं। संत पापा ने कहा कि वे तीर्थयात्री के रूप में जोर्डन आये हैं ताकि उन पवित्र स्थलों के दर्शन कर सकें जिनकी बाइबिल के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नेबो पर्वत जहाँ से नबी मूसा ने अपने लोगों को वह भूमि दिखाई जो उनका घर होगा। यहाँ वे मर गये और दफनाये गये। यर्दन के पार बेथनी जहाँ योहन बपतिस्ता ने प्रवचन किया और येसु का साक्ष्य दिया और यर्दन नदी के जल में बपतिस्मा प्रदान किया। पारम्परिक रूप से मान्यता प्राप्त स्थल जहाँ येसु ने बपतिस्मा प्राप्त किया था वहाँ बनाये जानेवाले गिरजाघर के लिए नींव के पत्थरों को मैं आशीष दूँगा। संत पापा ने कहा कि जोर्डन में काथलिक समुदाय को आराधना के सार्वजनिक स्थल का निर्माण करने की स्वतंत्रता प्राप्त है जो धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति इस देश के सम्मान को दिखाता है। धार्मिक स्वतंत्रता वस्तुतः मौलिक अधिकार है और उनकी कामना है कि प्रत्येक स्त्री और पुरूष के इस अहस्तांतरणीय अधिकार और मर्यादा को न केवल मध्य पूर्व में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में और अधिक मान्यता प्रदान कर इसकी रक्षा की जाये। संत पापा ने कहा जोर्डन का दौरा करने का यह अवसर मुसलमान समुदाय के प्रति गहन सम्मान को व्यक्त करने तथा इस्लाम धर्म द्वारा उदघोषित सदगुणों की बेहतर समझ के लिए सम्राट अबदुल्लाह द्वारा प्रदर्शित नेतृत्व के प्रति आभार प्रकट करने का उन्हें मौका देता है। अम्मान संदेश तथा अम्मान अंतर धार्मिक संदेश के प्रकाशन के कुछ वर्षों बाद पश्चिमी और मुसलिम जगत के मध्य सार्थक पहलों को बढ़ावा दिया है। वस्तुतः मध्य पूर्व और सम्पूर्ण विश्व में अंतर धार्मिक वार्ता को प्रोत्साहन प्रदान करने और इस्राएल फिलीस्तीनी संघर्ष का न्यायसंगत समाधान के प्रयास इराक से आये शरणार्थियों को शरण देने तथा चरमपंथ पर रोक लगाने में जोर्डन अग्रिम पंक्ति में रहा है। संत पापा ने इस दिशा में दिवंगत सम्राट हुसैन के बहुमूल्य योगदान का विशेष स्मरण किया। उन्होंने मध्य पूर्व के सबलोगों के लिए दीर्घकालीन शांति और सच्चे न्याय के फल प्राप्त होने की कामना की। रोम में आय़ोजित काथलिक मुसलिम मंच की बैठक का उन्होंने स्मरण किया जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी धार्मिक परम्परा के अनुसार प्रेम के आदेश की केन्द्रीय भूमिका पर चिंतन किया था। संत पापा ने यह कामना कि कि ईसाईयों और मुसलमानों के मध्य मधुर संबंध के लिए की जानेवाली पहलें सर्वशक्तिमान और दयालु ईश्वर के प्रेम तथा एक दूसरे के प्रति भ्रातृत्व प्रेम में बढ़ने में मदद करें। संत पापा ने जोर्डन के सबलोगों के लिए शांति और समृद्धि का कामना की।








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