स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें
का संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 3 मई को संत पेत्रुस महामंदिर में आयोजित
समारोही ख्रीस्तयाग में रोम धर्मप्रांत के लिए 19 नये पुरोहितों को पुरोहिताभिषेक संस्कार
प्रदान किया। इसके बाद उन्होंने संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में एकत्रित देश विदेश
से आये हजारों तीर्थयात्रियों के साथ स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया।
उन्होंने तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए कहाः-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
मैंने
अभी तुरंत ही संत पेत्रुस महामंदिर में यूखरिस्तीय समारोह का समापन किया है जिसमें रोम
धर्मप्रांत के 19 नये पुरोहितों को पुरोहिताई संस्कार प्रदान किया। पुनः एकबार मैंने
इस रविवार, पास्का के चौथे रविवार को इस आनन्दपूर्ण घटना के लिए चुना क्योंकि इस दिन
के लिए सुसमाचार में भले गड़ेरिये का वर्णन है जो विशिष्ट रूप से उपयुक्त पाठ अर्पित
करता है।
यही कारण है कि आज बुलाहटों के लिए विश्व स्तर पर प्रार्थना दिवस मनाया
जाता है। इस अवसर के लिए मेरे वार्षिक संदेश में मैंने फेथ इन द डिवाइन इनीशियेटिव द
ह्यूमन रिस्पोंस अर्थात् विश्वास में दिव्य पहल मानव प्रत्युत्तर शीर्षक पर चिंतन करने
के लिए आमंत्रित किया है। वस्तुतः ईश्वर पर भरोसा, पवित्रता के लिए सतत आह्वान करता है
और कुछ लोगों के लिए विशिष्ट तौर पर विशेष समर्पण जो प्रार्थना में अभिव्यक्त होता है।
व्यक्तिगत के साथ ही साथ सामुदायिक रूप से हमें बुलाहटों के लिए बहुत प्रार्थना करनी
है ताकि ईश्वरीय प्रेम का सौंदर्य और महानता अनेक लोगों को पुरोहिताई और धर्मसमाजी जीवन
के पथ पर ख्रीस्त का अनुसरण करने के लिए आकर्षित करे।
प्रार्थना करना इसलिए भी
जरूरी है ताकि पवित्र दम्पत्तियाँ सबसे अधिक अपने उदाहरणों द्वारा अपने बच्चों के लिए
उस क्षितिज की ओर इंगित करने में समर्थ हो सकें जिसकी ओर उन्हें अपनी स्वतंत्रता के साथ
प्रवृत्त होना चाहिए। स्त्री और पुरूष संत, जिनकी वंदना करने का कलीसिया सब विश्वासियों
के सामने प्रस्ताव करती है उन्होंने दिव्य बुलावे और मानवीय प्रत्युत्तर के मध्य संघटन
से उत्पन्न परिपक्व फल की साक्षी दिया। बुलाहटों के लिए हमारी प्रार्थना को उनकी स्वर्गिंक
मध्यस्थता के सिपुर्द करें। एक अन्य मनोरथ है जिसके लिए मैं आज आपको प्रार्थना करने
के लिए आमंत्रित करता हूँ होली लैंड की तीर्थयात्रा जिसे ईश्वर ने चाहा तो मैं अगले शुक्रवार
8 मई से 15 मई तक करूँगा। मेरे पूर्वाधिकारी वंदनीय संत पापा पौल षष्टम और संत पापा जोन
पौल द्वितीय के पदचिह्नों पर चलते हुए मैं हमारे विश्वास के प्रमुख पवित्र स्थलों पर
तीर्थयात्रा के लिए जाऊँगा। इस प्रेरितिक दौरे से मैं होली लैंड अर्थात् पवित्र भूमि
के ख्रीस्तीयों को प्रोत्साहन देते हुए सुदृढ़ करना चाहता हूँ जिन्हें प्रतिदिन अनेक
कठिनाईयों का सामना करना होता है। प्रेरित संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के रूप में मैं
सम्पूर्ण कलीसिया की निकटता और समर्थन को प्रदर्शित करूँगा। इस से कहीं अधिक सबके पिता
एक ईश्वर के नाम में मैं शांति का तीर्थयात्री होऊंगा। मैं उनलोगों के लिए काथलिक कलीसिया
के समर्पण की साक्षी दूँगा जो वार्ता और पुर्नमिलन का अभ्यास करते हैं ताकि न्याय और
परस्पर सम्मान पर आधारित स्थायी और दीर्घकालीन शांति के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
अंततः इस यात्रा की अपरिहार्य़ रूप से एकतावर्द्धक और अंतरधार्मिक सार्थकता होगी। इस दृष्टिकोण
से येरूसालेम सर्वोत्तम सांकेतिक प्रतीक है। वहाँ ख्रीस्त मर गये ताकि बिखर गयी ईश्वर
की सब संतान को पुनः संयुक्त कर सकें। अब हम कुँवारी माता मरियम को और मुखातिब होकर
भले गड़ेरिये की माता का आह्वान करें जो रोम धर्मप्रांत के नये पुरोहितों की देखरेख करें
और सम्पूर्ण विश्व में ईश्वरीय राज्य के लिए समर्पित जीवन जीने वाले असंख्य और पवित्र
बुलाहटें उत्पन्न हों।
इतना कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग की रानी आनन्द मना
प्रार्थना का पाठ किया और सब तीर्थयात्रियों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।