बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित एक बैठक में दर्जनों इस्लामिक इमामों और ख्रीस्तीय
पास्टरों और धर्माध्यक्षों ने इस बात की पुष्टि की है कि वार्तालाप ही एकसाथ रहने का
एकमात्र उपाय है। ढाका विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय के विश्व धर्म विभाग द्वारा इमाम
एंड पास्टर्स डायलाँग ओन यूनिटी इन डाइवर्सिटी शीर्षक से आयोजित एकतावर्द्धक बैठक में
30 ईसाई पास्टरों सहित अन्य धर्मों के विशेषज्ञों और इस्लामिक इमामों ने भाग लिया। वक्ताओं
में वाटिकन के राजदूत मान्यवर जोसेफ मोरिनो, ढाका के महाधर्माध्यक्ष पौलिनुस कोस्ता,
धर्माध्यक्ष लिनुस गोमस तथा इटली के राजदूत इताला ओकी शामिल थे। वक्ताओं ने वार्तालाप
के महत्व पर बल दिया तथा सशस्त्र इस्लामिक चरमपंथ जैसे किसी भी प्रकार के एकपक्षीय अलगाव
के स्वरूप की भर्त्सना की। बैटक का आयोजन करनेवाले विभाग के संस्थापक काजी नुरूल इस्लाम
ने शांति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अंतरधार्मिक वार्ता के महत्व पर बल दिया।
प्रोफेसर इवा सादिया साद ने कहा कि विभिन्न धर्मों के मध्य संवाद से व्यापक हिंसा की
परिस्थितियों को सुलझाया जा सकता है। महाधर्माध्यक्ष कोस्टा ने सहमति व्यक्त किया कि
हम शांति के साधन बनने के लिए बुलाये गये हैं। बांग्लादेश के धर्माध्यक्षों के साथ पंचवर्षीय
पारम्परिक मुलाकात के अवसर पर संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने आग्रह किया था कि अंतरधार्मिक
वार्ता के कार्य में वे धैर्यपूर्वक अपने समर्पण को बनाये रखें जो कि कलीसिया के मिशन
का अपरिहार्य अंग है। राजदूत ओकि ने कहा कि वार्तालाप प्रक्रिया है जो देश में अंतर सांस्कृतिक
सौहार्द को मजबूती प्रदान करती है। धार्मिक नेता विश्वासियों के मध्य इसका प्रसार कर
सकते हैं ताकि और अधिक वैध, मर्यादापूर्ण तथा शांतिमय समाज का निर्माण किया जा सके। मान्यवर
मोरिनो ने एशिया समाचार सेवा से कहा कि आज का वार्तालाप न्याय, शांति तथा सामान्य हित
की दिशा में एक नयी शुरूआत है तथा यह अन्य देशों के लिए नमूना बन सकता है।