2009-04-23 11:46:36

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


वाटिकन सिटी, 22 अप्रैल, 2009 । बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा-

प्रिय भाईयो एवं बहनों, आज मैं आज मैं अठारहवीं शताब्दी के एक लेखक के बारे में बताना चाहूँगा जिनका नाम था अंब्रोस अउतपेर्त।

अंब्रोस बेनेदिक्त धर्मसमाज के मठवासी थे और जिसके बारे में कलीसिया में ज्यादा चर्चा नहीं की गयी है। अंब्रोस के जीवन काल में यूरोप में जो परिस्थिति थी उसका व्यापक प्रभाव पड़ा था।

लोगों का ख्रीस्तीय जीवन कमजोर था और कई मठवासियों को भी एक नये जीवन और मार्गदर्शन की आवश्यकता थी।

अंब्रोस ने जो भी लेख लिखे और प्रवचन दिये उसमें उन्होंने इस बात पर बल दिया कि मठवासी जीवन को रोजदिन नये उत्साह के साथ जीना चाहिये। उनकी एक किताब बहुत चर्चित हुई, वह थी ' कोन्फिलीक्ट बिचवीन भाईसेस एंड भरचुस ' अर्थात गुण और अवगुणों के बीच संघर्ष।

इसको इस मतलब से लिखा गया था ताकि मठवासी को अपने जीवन की चुनौतियों का सामना करने में बल मिले।

उनके प्रवचनों की यह विशेषता थी कि उन्होंने मानव की 20 कमजोरियों के बारे में चर्चा की है और उन कमजोरियों से मुक्ति पाने के लिये उन्होंने 20 गुणों को भी बताया है।

अंब्रोस ने बताया है कि सब बुराइयों की जड़ है लालच ही है अतः उसने मठवासियों से निवेदन किया कि वे शक्ति और धन के लालच में पड़ने के बदले सँकरे रास्ते से ईश्वर के राज्य में प्रवेश करने का प्रयासरत रहें।

अंब्रोस ने प्रकाशना ग्रंथ पर विस्तारपूर्वक अपने विचार व्यक्त किये हैं। उन्होंने लोगों को इस बात को बार-बार बताया कि येसु मसीह को हमारे दिल में रोज दिन जन्म लेना है हमारे लिये मरना है और फिर से जी उठना है।

उन्होंने इस बात को भी बताया कि कुँवारी माता मरिया कलीसिया की आदर्श माँ है और हमें उनका अनुसरण करना चाहिये।

अंब्रोस अउतपेर्त को पश्चिमी देशों में माता मरियम के संबंध में सबसे बड़ा विद्वान माना जाता है।

जब भी उन्होंने माता मरिया के बारे में कुछ लिखा तो उन्होंने माता मरिया के प्रति अपन अगाध अनुराग दिखाया। उन्होंने बताया कि ईश्वर को जानने के लिये हमें चाहिये कि हम उस प्यार करें।

ईश्वर के बारे में अध्ययन हमें ईश्वर के बार में ज्ञान दे सकता पर जब हम उसे प्यार करते हैं तब ही हम कह सकते हैं कि हम सही मायने में ईश्वर को जानते हैं।

आज ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि वह हमें कृपा दे ताकि हम अंब्रोस की बातों का अनुसरण करते हुए रोज दिन ईश्वर के प्यार में बढ़ते जायें।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने इंगलैंड ऑस्ट्रेलिया स्कैनडिनाभइया, कनाडा और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।












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