जिनीवा में नस्लवाद पर जारी संयुक्त राष्ट्र संघीय सम्मेलन में सोमवार को ईरान के राष्ट्रपति
अहमदीनेजाद द्वारा दिये गये भाषण की सर्वत्र निन्दा की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र
संघ के तत्वाधान में "नस्लवाद की समाप्ति पर" सोमवार से जिनीवा में पाँच दिवसीय सम्मेलन
जारी है। आठ वर्षों पूर्व, दक्षिण अफ्रीका में, इसी विषय पर सम्पन्न सम्मेलन में पारित
घोषणा की उक्त सम्मेलन में समीक्षा की जा रही है। भाषण आरम्भ करते ही ईरानी राष्ट्रपति
अहमदीनेजाद ने इसराएल के विरुद्ध बोलना शुरु कर दिया था। उन्होंने इसराइल पर आरोप लगाया
कि इसराइलियों ने यहूदियों के नरसंहार को, फिलीस्तीनीयों पर आक्रमण का बहाना बनाकर, एक
नस्लवादी देश का निर्माण कर लिया है। ईरानी राष्ट्रपति अहमदीनेजाद के इस आपत्तिजनक
भाषण का विरोध करते हुए कई प्रतिनिधि सभागृह से बाहर चले गए जबकि कुछ को नस्लवादी नारे
लगाने के लिये बाहर कर दिया गया। दूसरी ओर कई प्रतिनिधियों ने ईरानी राष्ट्रपति का
पक्ष लेते हुए उनके कथनों की सराहना भी की। ग़ौरतलब है कि सम्मेलन पहले से ही विवादों
में घिरा रहा था। इस सम्मेलन को यहूदी विरोधी और पश्चिम विरोधी बताकर अमरीका, इसराएल
तथा जर्मनी एवं इटली जैसे कुछेक पश्चिमी देशों ने इसका बहिष्कार कर दिया था। फ्रान्स,
ब्रिटेन तथा वाटिकन ने भी सम्मेलन को समर्थन दिया है तथा वे इसमें भाग ले रहे हैं। मानवाधिकार
विश्व संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने कुछ देशों द्वारा सम्मेलन के बहिष्कार की निन्दा करते
हुए कहा था कि जो इसका बहिष्कार कर रहे हैं वे नस्लवाद से पीडित लोगों की समस्याओं के
प्रति संवेदनशील नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने सम्मेलन का बहिष्कार
किए जाने पर निराशा व्यक्त की थी किन्तु सोमवार को इसराएल के विरुद्ध ईरानी राष्ट्रपति
के वकतव्य की भी उन्होंने कटु आलोचना की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ सदा से
ही नस्लवादी नीतियों का विरोध करता रहा है इसलिये इस प्रकार की निन्दनीय टिप्पणी के लिये
राष्ट्र संघ के मंच का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिये था।