संत पापा की आलोचनाओं से काथलिक समुदाय सहमत नहीं - कार्डिनल अन्जेलो
रोम, 25 मार्च, 2009 । जेनेवा के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल अन्जेलो बगनास्को ने कहा है
कि बीते दिनों में संत पापा की बातों की आलोचनायें अपनी सीमायें लाँघने लगी हैं जिससे
काथलिक समुदाय सहमत नहीं हैं।
उक्त बातें महाधर्माध्यक्ष ने उस समय कहीं जब वे
सोमवार 24 मार्च को धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में समिति के सदस्यों को
संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि संत पापा के जिन पहलों के बारे में आलोचनायें
हुई उनमें एक था चार लेफेब्राइट धर्माध्यक्षों के ऊपर से प्रतिबंध हटा देना।
ज्ञात
हो कि उन्हें सन् 1988 ईस्वी में इसलिये बहिष्कृत कर दिया गया था क्योंकि उनका अभिषेक
गै़रका़नूनी रूप से हुआ था।
संत पापा ने स्पष्ट किया है कि वे चाहते हैं कि काथलिक
कलीसिया मेल-मिलाप की एक मिसाल बने।
इटली धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष बगनास्को
ने संत पापा की कैमेरून और अंगोला की यात्रा के दरमियान दिये गये कोन्डोम संबंधी विचार
के बारे में कहा कि इस संबंध में आलोचनायें अनावश्यक थीं।
ध्यान देने की बात
है कि अफ्रीका के समाचार पत्रों ने इसे कोई महत्व नहीं दिया। जिन सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय
संगठनों इसे तूल दिया उन्हें भी चाहिये कि वे अपनी सीमाओं के अंतर्गत ही आलोचनायें करें।
उन्होंने जिस प्रकार की असभ्य भाषा का प्रयोग किया उसे सभ्य समाज कदापि स्वीकार नहीं
करेगी।
कोन्डोम के बारे में बोलकर संत पापा ने जो संदेश देना चाहा था उसे अफ्रीका
के लोगों ने ठीक से समझा है।
संत पापा यही बताना चाहते थे कि अफ्रीका इस बात
पर बल दे कि वहाँ के लोगों के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला कल्याण की योजनाओं पर
विशेष ध्यान दिया जाये।
इस अवसर पर बोलते हुए कार्डिनल ने यह भी कहा कि धर्माध्यक्ष
और काथलिक समुदाय इस बात को कदापि बर्दाश्त नहीं करेंगे कि कोई उनके महाधर्म गुरु अपमानित
करे या उसका सरे आम माख़ौल उड़ाया जाये।
काथलिक समुदाय की एक परंपरा रही है कि
वह सदा ही अपने धर्मगुरु का समर्थन बिना शर्त के करती रही है।