संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने 18 मार्च को कैमरून में याऊन्दे स्थित मरियम गिरजाघर में
संध्या वन्दना का नेतृत्व किया। गुरूवार को मनाये जानेवाले कलीसिया के संरक्षक संत जोसेफ
के पर्व दिवस को देखते हुए कहा उन्होंने इस अवसर पर प्रवचन करते हुए कहा कि यद्यपि संत
योसेफ येसु के जैविक पिता नहीं थे तथापि उन्होंने अपने पितृत्व को पूरी तरह जीया। वे
येसु की सेवा और उनके मानवीय विकास के प्रति समर्पित थे। संत जोसेफ की मानवीय और आध्यात्मिक
यात्रा पर मनन चिंतन हमें उनके बुलाहट की समृद्धि पर चिंतन करने के लिए आमंत्रित करता
है। पिता होने का अर्थ है कि जीवन और विकास की सेवा करना। इस अर्थ में संत जोसेफ ने महान
समर्पण और भक्ति का प्रमाण किया। उन्होंने अत्याचार, निर्वासन और गरीबी का अनुभव किया।
उन्हें मातृभूमि से दूर जाकर बसना पडा। उनका एकमात्र पुरस्कार था येसु के साथ होना। संत
जोसेफ न्यायी और धार्मिक पुरूष हैं क्योंकि उन्होंने अपने अस्तित्व को ईश्वर के वचन के
अनुकूल बनाया। उनका विश्वास कर्म से अलग नहीं है।उनके विश्वास का उनके कर्म पर निर्णायक
प्रभाव है। उन्होंने अपने कर्म और उत्तरदायित्व को पूरा किया तथा ईश्वर को स्वतंत्र रूप
से कार्य करने दिया।