फ्राँस, जर्मनी, संयुक्त राष्ट्र संघ सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें से सहमत नहीं
रोम से कैमरून तक की विमान यात्रा के दौरान मंगलवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने
पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए इस बात पर बल दिया था कि कॉनडोम टोपियों के वितरण से
एड्स महामारी की समस्या को कभी भी सुलझाया नहीं जा सकेगा।
सन्त पापा के इस
वकतव्य की फ्राँस, जर्मनी, संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अनेक पश्चिमी देशों ने कड़ी आलोचना
की है।
फ्राँस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एरिक शेवेलियर ने कहा कि यद्यपि
हमें यह अधिकार नहीं कि हम कलीसिया के सिद्धान्तों पर टीका करें किन्तु हमारा मानना है
कि ऐसे वकतव्य लोकस्वास्थ्य के लिये ख़तरा हैं।
जर्मनी में स्वास्थ्य मंत्री
उल्ला श्मित तथा विकास मामलों के मंत्री हेडमेरी विकज़ोरेक ने एक वकतव्य में कहा कि न
केवल यूरोप के लिये बल्कि अन्य महाद्वीपों के लिये भी कॉन्डोम जीवन रक्षक है।
कैमरून
के मार्ग में विमान यात्रा के दौरान एक पत्रकार के प्रश्न के उत्तर में सन्त पापा ने
कहा था कि एड्स की समस्या पैसों के बल पर समाप्त नहीं हो सकती, यह कॉन्डोम के वितरण से
समाप्त नहीं हो सकती, बल्कि इससे और बढ़ सकती है।
एड्स की रोकथाम के लिये सन्त
पापा ने आध्यात्मिक जागृति एवं पीड़ितों के प्रति दोस्ताना व्यवहार का सुझाव दिया है।
जबकि स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं की दलील है कि कॉन्डोम एड्स महामारी के निवारण के कई उपायों
में से एक है।
ग़ौरतलब है कि काथलिक कलीसिया कृत्रिम रूप से प्रजनन पर रोक
लगाने का विरोध करती है। एड्स निवारण के लिये वह विवाह में निष्ठा रखने तथा विवाहेत्तर
यौन सम्बन्ध से परहेज़ की शिक्षा देती है। अपनी इसी शिक्षा के तहत वह कॉनडोम टोपियों
के उपयोग का बहिष्कार करती है।