2009-03-18 16:43:43

कैमरून में संत पापा का पहला प्रभाषण


संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कैमरून की राजधानी याऊन्दे के हवाईअडडे में 17 मार्च को आयोजित स्वागत समारोह के समय उपस्थित देश के राष्ट्रपति श्री पौल बिया, प्रशासनिक और धार्मिक अधिकारियों, कूटनीतिज्ञों और उपस्थित जन समुदाय को सम्बोधित किया। उन्होंने कैमरून की यात्रा करने के लिए मिले निमंत्रण के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी चुने जाने के बाद पहली बार अफ्रीका महाद्वीप की भूमि पर आने पर वे हर्षित हैं। मेषपाल के समान वे अपने भाई बहनों को विश्वास में सुदृढ़ करने के लिए आये हैं। इस स्वागत समारोह में नागर प्रशासन के अधिकारियों, धर्माधिकारियों सहित विभिन्न धर्मों के अनुयायियों की उपस्थिति लोगों के मध्य विद्यमान सद्इच्छा और सदभावना का स्पष्ट संकेत है। उनके पूर्वाधिकारी संत पापा जोन पौल द्वितीय ने रोम में आयोजित अफ्रीका के धर्माध्यक्षों की पहली धर्मसभा के बाद सन 1995 में कैमरून की यात्रा कर याऊन्दे में अफ्रीका में कलीसिया नामक प्रेरितिक उदबोधन को अफ्रीका की कलीसिया को अर्पित किया था। संत पापा बेनडिक्ट 16 वें ने कहा कि इस वर्ष अक्तूबर माह में पुर्नमिलन, न्याय और शांति की सेवा में अफ्रीका में कलीसिया शीर्षक से रोम में सम्पन्न होनेवाली अफ्रीका के धर्माध्यक्षों की दूसरी विशेष धर्मसभा की कार्यप्रणाली की निर्देशिका को सौंपने के लिए वे यहाँ आये हैं। यह समय सब लोगों का आह्वान करता है कि अफ्रीका के लोगों के दिलों में आशा लाने के लिए कलीसिया के मिशन के प्रति वे स्वयं को पुनः समर्पित करें। उन्होंने कहा कि गहन पीड़ा के मध्य भी ख्रीस्तीय संदेश सदैव आशा लाती है। पीड़ा या हिंसा, गरीबी या भूख, भ्रष्टाचार या सत्ता का दुरूपयोग के सामने एक ख्रीस्तीय मौन नहीं रह सकता है। सुसमाचार के मुक्तिदायी संदेश की स्पष्ट उदघोषणा करने की जरूरत है ताकि ख्रीस्त का प्रकाश लोगों के जीवन के अंधकार को दूर करे। संत पापा ने कहा कि कैमरून के काथलिक विश्वासी चंगाई और मेलमिलाप के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए अच्छी स्थिति में है। मध्य अफ्रीका में कैमरून वस्तुतः अनेक लोगों के लिए आशा, आश्रय और जीवन देनेवाली भूमि है। यह युवाओं का देश है जो जीवन एवं उत्साह से भरे और अधिक न्यायी तथा शांतिमय विश्व की रचना करने के इच्छुक हैं। संत पापा ने कहा कि कैमरून और सम्पूर्ण अफ्रीका में कलीसिया के लिए प्रार्थना करें ताकि वह पवित्रता में बढ़ती रहे और पुर्नमिलन, न्याय एवं शांति की सेवा में कार्य़ करना जारी रखे।








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