2009-03-17 12:41:42

सन्त पापा के अनुसार उनकी कैमरून एवं अँगोला यात्रा सम्पूर्ण अफ्रीकी महाद्वीप का आलिंगन करती


रविवार 15 मार्च को, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना के बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने अपनी कैमरून एवं अँगोला यात्रा की चर्चा करते हुए कहा था कि यद्यपि इस यात्रा के दौरान वे अफ्रीका के केवल दो देशों का भ्रमण कर रहे हैं तथापि यह यात्रा सम्पूर्ण अफ्रीकी महाद्वीप के प्रति उनकी एकात्मता का प्रतिनिधित्व करती है क्योंकि एक अफ्रीकी देश की जो समस्याएँ हैं उनसे अफ्रीका के लगभग सभी देश जूझ रहे हैं। सन्त पापा के शब्दों में ..............................
"इस यात्रा के द्वारा मैं सम्पूर्ण अफ्रीका महाद्वीप का आलिंगन करना चाहता हूँ – उसके हज़ारों विविध और गहन धार्मिक आत्माओं का आलिंगन; उसकी प्राचीन संस्कृतियों तथा विकास और पुनर्मिलन की ओर जाते उसके थकाऊ मार्ग; उसकी गम्भीर समस्याओं, उसके दर्दनाक घाव और उसकी विशाल सम्भवताओं एवं आशाओं का आलिंगन करना चाहता हूँ।

सन्त पापा ने आगे कहाः "मैं अफ्रीका के काथलिकों के विश्वास को सुदृढ़ करना चाहता, ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक समर्पण को प्रेत्साहन देना चाहता तथा सभी के लिये उस शांति की घोषणा करना चाहता हूँ जिसके प्रसार का कार्यभार प्रभु ने अपनी कलीसिया के सिपुर्द किया है।"

सन्त पापा ने कहा कि ख्रीस्त एवं उनके क्रूस अर्थात् परम प्रेम के सुसमाचार के सिवाय उनके पास देने के लिये और कुछ भी नहीं है। उस दैवीय प्रेम के सिवाय जो सभी मानव विरोधों को पराजित करता तथा अन्ततः शत्रुओं के बीच क्षमा एवं पुनर्मिलन को सम्भव बनाता है। उन्होंने कहा कि यही सुसमाचार की कृपा है जिसमें विश्व को रूपान्तरित कर देने की क्षमता है। सुसमाचार ही उस कृपा का स्रोत है जो अफ्रीका को नवीकृत करने में सक्षम है क्योंकि इसमें शांति एवं मेलमिलाप को प्रोत्साहित करने की अपार शक्ति है।

सन्त पापा ने स्पष्ट किया कि कलीसिया आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक लक्ष्यों का पीछा नहीं करती बल्कि इस बात के प्रति निश्चित्त रहते हुए कि सुसमाचार में सभी के हृदयों को छू लेने तथा उन्हें रूपान्तरित करने की शक्ति है, ख्रीस्त की उदघोषणा करती है।









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