2009-03-16 13:12:56

चुनौतियों के बीच काथलिक कलीसिया की एकता बरक़रार रहे- पोप


वाटिकन सिटी, 16 मार्च, 2009 । संत पापा ने कलीसिया से बहिष्कृत  लेफेबरे के चार धर्माध्यक्षों के कलीसिया में पुनः स्वीकार किये जाने के कारण को स्पष्ट करते हुए यह बताया है कि उनका ऐसा करना सुसमाचार को कलीसियाई जीवन के केन्द्र में रखने का एक ठोस कदम है।
उक्त बातें वाटिकन के प्रवक्ता जेस्विट फ़ादर फेदरिको लोम्बार्दी ने उस समय कहीं जब वे वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम ' ऑक्तावा दियेस ' में संत पापा के वृहस्पतिवार को लिखे गये पत्र पर अपनी प्रतिक्रया व्यक्त कर रहे थे।
संत पापा के प्रवक्ता फादर लोम्बार्डी ने कहा कि संत पापा का विश्व के धर्माध्यक्षों को लिखा गया पत्र पोप का बहुत ही व्यक्तिगत और सटीक पत्र है जिसमें उन्होंने कलीसिया के पक्ष को बिल्कुल स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया है।
ज्ञात हो कि संत पापा ने इस बात  को स्पष्ट करने के लिये विश्व के धर्माध्यक्षों को पत्र लिखा था और यह बताया था कि महाधर्माध्यक्ष मारसेल लेफेबरे के द्वारा ग़ैरक़ानूनी रूप से अभिषिक्त धर्माध्यक्षों को फिर से काथलिक कलीसिया ने क्यों स्वीकार कर लिया है।
इस पत्र में संत पापा ने यह बताया है  कि वे चाहते हैं कि चुनौतियों के बीच भी काथलिक कलीसिया की एकता बरक़रार रहे।
इस पत्र से एक ओर तो कलीसिया की एकता मजबूत हुई है, दूसरी ओर इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि संत पापा चाहते हैं कि कलीसिया के सब लोग एक साथ ईश्वर के पास आयें, कलीसिया में मेल-मिलाप की भावना सुदृढ़ हो और बाइबल पर आधारित एक शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण हो सके।
फादर लोम्बार्डी ने बताया कि संत पापा इस पत्र के द्वारा लोगों को यह भी संदेश देना चाहते हैं कि लोग एकता के लिये कार्य करें, अन्तरकलीसियाई और अन्तरधार्मिक वार्ता को बल मिले और लोग शांतिपूर्ण तरीके से समस्याओं के समाधान के लिये आगे आयें।
ऐसा बताते हुए फादर लोम्बार्डी ने आगे कहा कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें की पोप  बनने के साथ ही यही प्राथमिकता रही है जिसकी घोषणा उन्होंने सिस्टिन चैपल अपने प्रथम भाषण में की थी।
फादर लोम्बार्डी ने कहा मेल मिलाप प्रभु येसु के द्वारा दिया गया नया नियम है जिसे प्रभु ने अपने सुसमाचार के द्वारा हमें दिया है। येसु ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि बलिदान से बड़ा है मेल-मिलाप।
पोप के प्रवक्ता ने कहा कि आज हमें संत पापा के इस उदाहरण के लिये उनकी तारीफ़ करना चाहिये कि उन्होंने ईश्वरीय प्रेम और मेल-मिलाप का साक्ष्य दुनिया को दिया है।











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