पुणे में जेस्विट कोन्फेरेन्स ऑफ साउथ एशिया (जेसीएसए) की सभा सम्पन्न
पुणे, 9 मार्च, 2009 । पुणे में आयोजित जेस्विट कोन्फेरेन्स ऑफ साउथ एशिया जेसीएसए ने
जेस्विटों के नये जेनरल फादर अदोल्फो निकोलस की अध्यक्षता में विश्व को प्रभावित करने
वाली अनेक विषयों पर विचार-विमर्श किया।
पुणे में हुए सात दिवसीय सभा में जिन
मुद्दों पर चर्चा की गयी वे हैं विश्वशांति और कमजोर वर्ग के लोगों के लिये सामाजिक न्याय।
सभा की बातों को मीडिया से अलग ही रखा गया।
इस सभा मे इस बात पर बल दिया गया
कि जेस्विट उन सब लोगों के साथ मिल कर कार्य करेंगे जो शांति, न्याय, मानवाधिकार अंतरधार्मिक
वार्ता और लोगों के समुचित विकास के लिये कार्य करते हैं।
पुणे के फादर प्रोविशयल
रोजारियो ने बताया कि जेस्विट चाहते हैं कि वे बिना भेदभाव के उन सब लोगों के साथ मिलकर
कार्य चाहते हैं जो मानव की प्रगति के लिये प्रयासरत हैं चाहे वे किसी भी धर्म सम्प्रदाय
जाति या विरादरी के क्यों न हों।
ज्ञात हो कि शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र
में विशिष्ट भूमिका निभाने वाले जेस्विटों की संख्या में भारत में 3900 है। यह भी विदित
हो जेस्विट काथलिक कलीसिया का पुरुषों का सबसे बड़ा और प्रभावपूर्ण धर्मसमाज है।
एक
समय में जेस्विटों के जेनरल को बैल्क पोप के रूप में जाना जाता था। पूरे विश्व में जेस्विटों
की कुल संख्या है 20 हज़ार है और जो करीब 100 देशों में अपनी सेवायें दे रहें हैं।
भारत
में जिन शिक्षण संस्थाओं ने एक विशेष छाप छोड़ रखी है वे हैं संत जेवियर्स कॉलेज मुम्बई,
कोलकोता, राँची लोयोला कॉलेज चेन्नई आदि।
जेस्विटों के 72 वर्षीय नये सुपीरियर
जेनरल स्पेनवासी अदोल्फो निकोलस ने जापान में 12 वर्षों तक कार्य किया है और जापानी,
स्पैनिश, अंग्रेजी, फ्रेंच और इताली भाषा के ज्ञाता हैं।