आर्थिक मंदी के समय में प्रेम औऱ न्याय के प्रचारक बनें - संत पापा
वाटिकन सिटी, 6 मार्च, 2009 । संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि पुरोहित आर्थिक
मंदी के समय में प्रेम औऱ न्याय के प्रचारक बनें।
उन्होंने उक्त बातें उस समय
कहीं जब वे 26 फरवरी को रोम के धर्मप्रांतीय पुरोहितों को संबोधित कर रहे थे। प्रत्येक
वर्ष संत पापा चालीसे काल में रोम और उसके इर्द-गिर्द कार्यरत पुरोहितों को अपना संदेश
देते हैं।
उन्होंने कहा कि चर्च को चाहिये कि वह दुनिया की सच्चाइयों से अवगत
हो और उसी के आधार पर समाज को बदलने और उसे प्रगति के मार्ग पर लाने का प्रयास करे। हम
इस बात को ध्यान दें कि भलाई की इच्छा तो रखें ही इसके साथ हम सार्वजनिक हित के लिये
प्रयासरत रहें।
विश्वास और बुद्धि के संबंध पर बोलते हुए पोप ने कहा कि बिना
विश्वास के बुद्धि या सिर्फ़ तर्क के बल पर हम लोगों की सेवा नहीं कर सकते हैं।
संत
पापा ने उपस्थित लोगों को बोलते हुए आगे कहा कि कलीसिया को चाहिये कि वह सदा चौकस रहे
और बुद्धि को विश्वास से प्रज्वलित करे ताकि हम स्वतंत्र मन दिल से लोगों की सेवा कर
सकें।
कलीसिया का कर्त्तव्य यह भी है कि वह देखे कि विश्व की समस्याओं के समाधान
में सही निर्णय लिया जाये ताकि हर प्रकार की गलती से बचा जा सके।
उन्होंने इस
बात की ओर भी लोगों का ध्यान खींचा कि मनुष्य पूर्ण रूप से अपनी कमजोरियों से कभी भी
मुक्त नहीं हो सकता है पर इससे बचने का पूरा प्रयास कर सकता है। इस अवसर पर बोलते हुए
संत पापा ने यह भी कहा कि दुनिया की भलाई हम तब ही सही तरीके से कर सकते हैं जब हम अपना
मन परिवर्त्तन करें।
न्याय की परिकल्पना हम तब ही कर सकते हैं जब हम न्यायी बनेंगे
और इसके लिये यह आवश्यक है कि हम ईश्वर की ओर लौटें।
उन्होंने अपने वक्तव्य
के अन्त में यह भी कहा कि पल्ली पुरोहितों का कार्य सिर्फ़ पारिश को संभालना नहीं है
पर यह देखना कि पूरी मानवता को न्याय और प्रेम की शिक्षा मिल रही है, और वे विश्वास में
मजबूत हो रहें हैं और ईश्वर की ओर वापस लौट रहें हैं।