मुसलिम बुद्धिजीवियों ने उदारवादी इस्लाम की माँग की
जकार्ता, 5 मार्च, 2009 । जकार्ता के उन प्रांतों के जो मसलिम बहुल क्षेत्रों में नहीं
है ने यह माँग की है कि उन्हें कुछ छूट दी जाये ताकि वे स्थानीय लोगों के साथ मिलकर
अपना जीवन बिता सकें। बाली, पूर्वी नूसा तेनगारा मलाकु दक्षिण सुलावेजी और पापुआ
के करीब 30 बुद्धिजीवियों ने जकार्ता में एक सेमिनार के समय उन विचारों को व्यक्त किये।
इस सेमिनार का आयोजन अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक बुद्धिजीवी संगठन के तत्वाधान में हुआ
था। सेमिनार की विषयवस्तु थी राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में एक उदारवादी मुसलिम समुदाय
का निर्माण। अब्दुल कादीर मकारिम ने कहा कि उन्हें इस बात के लिये ख़ेद है कि वे
ईसाइयों के त्योहारों में सहभागी नहीं हो पाते हैं क्योंकि मुसलिम नियम कानून बहुत सख्त
है। ज्ञात हो कि सन् 1981 के बाद इंडोनेशिया के इस्लाम बुद्धिजीवी संगठन ने एक
नियम ज़ारी किया था जिसके तहत् किसी भी मुसलमान को ईसाइयों के पर्व-त्योहारों में शामिल
होने पर रोक लगा दी गयी थी। पूर्वी नूसा तेनगारा प्रांत की जनसंख्या चार लाख 20 हज़ार
है और वहाँ मुसलिमों की संख्या सिर्फ़ 9 प्रतिशत है। बुद्धिजीवियों ने फिग जारी करने
कहा है ताकि मुसलिमों के नियमों में कुछ उदारवादी रुख अपनाया जा सके। उन्होंने यह
आशा व्यक्त की है कि ऐसा होने से वे रहमान लिल अलामिन अर्थात् दुनिया के लिये ईश्वरीय
वरदान की प्राप्ति हो सकती है। इससे विश्व में शांति के लिये एक साथ मिलकर कार्य
किया जा सकता है और किसी भी प्रकार की टकराव की स्थिति से बचा जा सकता है।