2009-03-04 12:42:51

नई दिल्लीः भारतीय ख्रीस्तीयों ने सुरक्षा एवं सम्मान का आव्हान किया


भारतीय सरकार द्वारा आगामी आम चुनावों की तिथियों की घोषणा के तुरन्त बाद भारत की सभी ख्रीस्तीय कलीसियाओं ने राजनैतिक पार्टियों को एक संयुक्त वकतव्य प्रेषित कर मांग की है कि देश के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को सुरक्षा एवं नागर सम्मान प्रदान किया जाये।

ख्रीस्तीय कलीसियाओं का संयुक्त वकतव्य मंगलवार को नई दिल्ली में देहली के महाधर्माध्यक्ष विन्सेन्ट कॉनचेसाओ द्वारा एक पत्रकार सम्मेलन में प्रकाशित किया गया। इसमें कहा गया कि हालांकि भारत के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों की संख्या छोटी है तथापि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, समाज कल्याण तथा पीड़ितों की सेवा के क्षेत्रों में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। यह आशा व्यक्त की गई कि भारत की धर्मनिरपेक्ष एवं प्रजातांत्रिक छवि को बरकरार रखा जायेगा तथा सभी नागरिकों को सन् 1950 में निर्मित संविधान में परिभाषित अधिकार दिये जायेंगे।

ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों से उन्होंने आग्रह किया कि आगामी चुनावों में वे ज़िम्मेदारी के साथ भाग लें तथा देश की राजनैतिक प्रक्रिया के साथ सक्रिय रहें। उन्होंने कहा कि विश्वव्यापी स्तर पर उभरे आर्थिक संकट ने, विशेष रूप से, निर्धनों को प्रभावित किया जिनकी सहायता के लिये ठोस नीतियों की आवश्यकता है।

राजनैतिक पार्टियों से पत्र में कहा गया कि अल्पसंख्यकों के विरुद्ध जारी चरमपंथियों की हिंसा को रोकना राजनीतिज्ञों की प्राथमिकता होनी चाहिये। हाल के माहों में उड़ीसा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक तथा तमिल नाड में हुई ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा पर खेद व्यक्त करते हुए वकतव्य पर हस्ताक्षर करनेवाले ख्रीस्तीय नेताओं ने कहा कि अपराधियों को दण्डित न किये जाने के कारण हिंसा में वृद्धि हुई है। इसके लिये, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एवं पुलिस की निष्क्रियता ज़िम्मेदार है।

उड़ीसा में हिन्दु चरमपंथियों की हिंसा के परिणामस्वरूप बेघर और विस्थापित हुए हज़ारों ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के पुनर्वास के लिये उपयुक्त कार्यवाही की ख्रीस्तीय नेताओं ने मांग की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक के मानवाधिकारों और, विशेष रूप से, धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान कर ही देश यथार्थ प्रगति कर सकेगा।








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