शांति स्थापना के बारे में मुस्लिमों और ईसाइयों के विचारों में बहुत समानताएँ
रोम, 28 फरवरी, 2009 । शांति स्थापना के बारे में मुस्लिमों और ईसाइयों के विचारों में
बहुत समानताएँ हैं। दोनों सम्पदाय के लोगों का विचार है कि शांति का संबंध मानव के पूरे
जीवन से है।
उक्त बातें उस समय कहीं गयीं जब अंतरधार्मिक वार्ता के लिये बनी परमधर्मपीठीय
समिति के सदस्यों और एकेश्वरवादी धर्मों के लिये बनी कैरो स्थित स्थायी समिति एल-अज़हर
की सभा सम्पन्न हुई।
ज्ञात हो कि पिछले मंगलवार और बुधवार को इन दोनों संगठनों
की बार्षिक आम सभा का आयोजन किया गया था।
इस सभा में काथलिकों का प्रतिनिधित्व
कार्डिनल जाँ लुईस तौरान ने किया और दूसरी ओर मुसलमानों की सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल
का नेतृत्व चीख अली अल बागी शाहाता ने किया।
सभा के अन्त में इस बात पर बल दिया
गया कि दोनों धर्म शांति की स्थापना पर बहुत बल देते हैं और दोनों का ही यह पक्का विश्वास
है कि शांति एक ईश्वरीय वरदान है और मनुष्य के सतत् प्रयास का फल है।
प्रतिनिधियों
ने कहा कि बिना न्याय और समानता के शांति की कल्पना नहीं की जा सकती है।
समिति
के सदस्यों ने को भी माना कि दोनों सम्प्रदायों का यह प्रथम दायित्व है कि वे लोगों
में एक ऐसा संस्कार डालें जिससे की शांति की भावना बढ़े सुरक्षित रहे और लोगों में इसका
विकास हो सके।
उन्होंने इस आवश्यकता पर भी जोर दिया कि शांति जीवन के हर क्षेत्र
में फैलाया जाना चाहिये चाहे वह धार्मिक शिक्षा हो या आपसी संबंध हो।
इस अवसर
पर समिति के सदस्यों ने इस बात पर भी बल दिया कि कुछ ऐसे किताब लिखे जाने चाहिये जो धर्मसमभाव
की भावना को बढ़ावा दे और जिससे लोगों के मन में दूसरे सम्प्रदायों के प्रति जो भ्रम
या पूर्वधारणायें हैं वे दूर हो सकें।
दोनों धर्मों के प्रतिनिधियों ने इस बात
पर विशेष बल दिया कि शांति की स्थापना में मीडिया की भूमिका भी मह्त्वपू्र्ण है।
मीडिया
लोगों को इस बात से अवगत करा सकती है कि धर्म का संबंध अंतःकरण से है और लोगों को इसमें
पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिये।
दोनों धर्मो के प्रतिनिधियों ने इस बात को जोर
दिया कि धार्मिक हिंसा और अतिवादिता से लोगों को बचाया जाना चाहिये और एक शांतिपूर्ण
भविष्य के लिये मिलेकर कार्य किया जा सके।
उन्होंने कहा कि शांति स्थापना की
दिशा में अन्तरराष्ट्रीय कानून में मदद कर सकते हैं।