सीसीबीआई ने उड़ीसा के ईसाइयों के ख्रीस्तीय विश्वास, धैर्य और देशभक्ति की तारीफ़
मैसूर, 20 फरवरी, 2009 । काथलिक बिशपस कोन्फेरेन्स ऑफ इंडिया के धर्माध्यक्षों ने उड़ीसा
में अतिवादी हिन्दुओं द्वारा मारे और प्रताड़ित किये गये ईसाईयों के ख्रीस्तीय विश्वास,
धैर्य और देशभक्ति की तारीफ़ की है।
मैसूर में एक सप्ताह तक चले सेमिनार पूरे
भारत के 120 धर्माध्यक्षों ने उड़ीसा में हुए ईसाई विरोधी मार-काट में हुए मारे गये ईसाइयों
के सम्मान में कुछ क्षण तक मौन रखा और उनके लिये विशेष प्रार्थनायें चढ़ायीं।
इस
अवसर पर संत पापा ने भी अपना विशेष संदेश भेजकर उड़ीसा के पीड़ित ईसाइयों को अपनी सहानुभूति
दिखलायी ।
इस अवसर पर संयुक्त ईसाई मानवाधिकार मंच के अध्यक्ष जोन दयाल ने एक
रिपोर्ट भी पेश किया और बताया कि उड़ीसा की समस्या का समाधान अब तक नहीं हुआ है। और कई
ईसाई अब भी दहशत के कारण घर वापस नहीं लौट पा रहे हैं।
सरकार के दावों के बाबजूद
अब भी ईसाइयों को पूरी सुरक्षा नहीं मिल पायी है।
एशियान्यूज़ के एक रिपोर्ट के
अनुसार 11 फरवरी को हुई एक घटना के अनुसार अतिवादी हिन्दुओं ने एक महिला को हिन्दु धर्म
स्वीकारने के लिये बाध्य किया और उसके बेटे को भी प्रताड़नायें दीं जब उसने थोपे जा रहे
हिन्दु धर्म को नहीं स्वीकारा।
ज्ञात हो कि मैसूर में हुए धर्माध्यक्षों की सभा
में भारतीय धर्माध्यक्षों ने ' कलीसिया और इसके मिशन में ईश-वचन का मह्त्ता ' विषय
पर एक सेमिनार का आयोजन किया था।
सेमिनार ने यह निर्णय किया है कि वे इस बात पर
बल देंगे कि प्रत्येक ईसाई के हाथ में एक बाइबल हो और वह उसे पूरे सम्मान के साथ रखे
और ईश-वचन से बल और शक्ति प्राप्त करे। धर्माध्यक्षों की सभा ने इस बात पर भी बल
दिया कि अब बच्चों को भी उनके परमप्रसाद संस्कार ग्रहण करते समय बाइबल की एक प्रति दी
जाये।
धर्माध्यक्षो की सभा ने पुरोहितों धर्मबहनों और आम लोगों से अपील की है
कि वे आपसी सद्भाव और भाईचारे की भावना का प्रचार करते हुए अपना जीवन बितायें और ख्रीस्तीय
प्रेम का साक्ष्य दें।