2009-02-18 11:53:04

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
18 फरवरी, 2009


रोम, 18 फरवरी, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा-

प्रिय भाईयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षा माला में हम पूर्व और पश्चिम के ख्रीस्तीय लेखकों के विचारों पर चिन्तन करते हुए आइए संत बेदे के लेखों पर ग़ौर करें।

ईंगलैंड के वेयरमाउथ के मठवासी संत बेदे मध्य युग के प्रकाण्ड विद्वान माने जाते हैं। और उनकी धार्मिकता और ज्ञान से काथलिक कलीसिया को लाभ हुआ है।

जिस बात के लिये संत बेदे बहुत प्रसिद्ध हुए वह था उनका व्याख्यान पुराने एवं नये व्यवस्थान की एकात्मकता के बारे में।

उन्होंने बताया कि दोनों व्यवस्थानों की एकता इसी में है कि वे दोनों ईसा-मसीह और कलीसिया को धर्म का केन्द्र बिन्दु मानते हैं।

इतना ही नहीं संत बेदे ने इस बात की खोज की, कि किस प्रकार से कलीसिया प्रेरितों के क्रिया कलापों, आरंभिक ख्रीस्तीय इतिहास और विभिन्न कलीसियाई महासभाओं से जुड़ी हुई है।

उन्होंने उन घटनाओं का भी पता लगाया जिनके द्वारा सुसमाचार इंगलैंड के लोगों तक पहुँची।

इतना ही नहीं अगर संत बेदे द्वारा लिखित इतिहास न केवल घटनाओं का सिलसिला है वरन् उनके लेखों में कलीसियाई धर्मशिक्षा और धर्म-विधि की भी एक स्पष्ट झलक मिलती है।

इसका उपयोग धर्मशिक्षक, पुरोहित और धर्मप्रचारक कर सकते हैं और अपने बुलाहट में मजबूत हो सकते हैं। इसके द्वारा उन्हें कलीसिया की उचित सेवा करने में भी मदद मिलेगी।

कलीसिया के लिये गये अपने महान् योगदान और उनके पवित्र जीवन के कारण ही संत बेदे को कलीसिया ने ' सम्मानीय ' की उपाधि प्रदान की है।

उनके लेखों का ब्यापक प्रभाव पूरे यूरोप में पडा औऱ पूरे यूरोप में ख्रीस्तीयता की जड़ें मजबूत हुईँ।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने इंगलैंड, आयरलैंड, स्वीडेन, जापान, और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।












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