रैगिंग रोकने में विफल संस्थानों की मान्यता रद्द होगी
नयी दिल्ली, 16 फरवरी, 2009 । सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए
राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को रैगिंग रोकने में विफल शिक्षण संस्थाओं की
मान्यता रद्द करने का निर्देश दिया है। ईसाई नेताओं और संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट के
इस निर्देश का स्वागत किया है। सीबीसीआई के शिक्षा विभाग के सचिव फादर कुरियाला चित्तातुकालम
ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब नये छात्रों और विशेषकर के ग़रीब विद्यार्थियों
को बहुत राहत मिलेगा और विद्यालयों में पढ़ाई का भयमुक्त वातावरण तैयार हो पायेगा। ज्ञात
हो कि देश भर के शिक्षा संस्थानों में बढ़ रही रैगिंग की समस्या के मद्देनज़र सुप्रीम
कोर्ट ने सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी.
रैगिंग की रिपोर्ट मिलते ही शिक्षा संस्थान को कार्रवाई करनी होगी और पुलिस को सूचित
करना होगा। यदि विश्वविद्यालय किसी छात्र के दोषी होने के बारे में संतुष्ट है तो वह
उसे निलंबित करके पुलिस के पास रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। यदि शिक्षा संस्थान राघवन
समिति की सिफारिशों पर अमल करने में कोताही करेंगे तो उनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती
है। ज्ञात हो कि रैगिंग को हटाने के लिये बनी विद्यार्थियों के फोरम के अनुसार सन्
2007-08 में 89 केस रिपोर्ट किये गये थे। उनमें 11 विद्यार्थियों ने रैगिंग से तंग
आकर आत्म हत्या कर दी और 5 ने आत्म हत्या का प्रयास किया था। इसमें यह भी बताया गया
है इन में 21 प्रतिशत रैंगिग यौन प्रताड़ना के रिपोर्ट थे और 43 प्रतिशत में हिंसक रैगिंग
शामिल थे।