अमरीकी यहूदी संगठनों के अध्यक्षों के एक प्रतिनिधिमंडल ने संत पापा का साक्षात्कार किया
प्रमुख अमरीकी यहूदी संगठनों के अध्यक्षों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरूवार को वाटिकन
में संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का साक्षात्कार किया। न्यूयार्क स्थित पार्क ईस्ट यहूदी
प्रार्थनालय के रब्बी आर्थर स्नायर और श्री अलान सोलो के हार्दिक स्वागत सम्बोधन के प्रति
कृतज्ञता ज्ञाप्ति करते हुए संत पापा ने अपनी अमरीका यात्रा और पार्क ईस्ट यहूदी प्रार्थनालय
में यहूदी समुदाय के नेताओं के साथ सम्पन्न मुलाकात का सहर्ष स्मरण किया। संत पापा ने
यहूदी मित्रों के साथ मीटिंग के मिले अनेक अवसरों के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि ये
बैठकें परस्पर सम्मान को प्रदर्शित करती हैं। सन 2006 में आउत्सविच बिरकेनाउ यातना शिविर
के दौरे का स्मरण करते हुए संत पापा ने कहा कि नात्सी शासनकाल में इन यातना शिविरों में
यहूदियों के खिलाफ किये गये क्रूर अत्याचार के लिए सम्पूर्ण मानवजाति गहन लज्जा महसूस
करती है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की इटली और इस्राएल यात्रा को देखते हुए संत पापा
ने कहा कि वे भी इस्राएल के आगामी दौरे की तैयारी कर रहे हैं जो यहूदियों और ईसाईयों
की पवित्र भूमि है, हमारे विश्वास की जड़े यहाँ हैं। उन्होंने कहा कि यहूदियों और कलीसिया
के मध्य संबंध का दो हजार वर्षों का इतिहास विभिन्न अवस्थाओं से गुजरा है। हम मेलमिलाप
की भावना में आगे बढ़े तथा अतीत की कठिनाईयों को हावी न होने दें जो मित्रता के हाथ बढ़ाने
में बाधक होते हैं। संत पापा ने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा की नोस्तरा एताते नामक
उदघोषणा मेलमिलाप के पथ में मील का पत्थर था जिसमें यहूदियों और ईसाईयों के मध्य संबंध
के प्रति कलीसिया के अभिगम को संचालित करनेवाले सिद्धान्तों को स्पष्ट रूप से व्यक्त
किया गया है। संत पापा ने कहा कि कलीसिया सामीवाद विरोधी हर प्रकार के रूपों को खारिज
करती है तथा दोनों समुदायों के मध्य अच्छे और स्थायी संबंध बनाये रखने के लिए कार्य करने
हेतु समर्पित है। उन्होंने कहा कि नात्सी शासन काल के समय पुरूषों महिलाओं और बच्चों
के प्रति प्रदर्शित नफरत और विद्वेष ईश्वर और मानवजाति के खिलाफ अपराध था। इस क्रूर अपराध
से इंकार करना या इसे कम कर आँका जाना असहनीय और अस्वीकार्य है। संत पापा ने कहा कि इतिहास
के इस भयानक अध्याय को कदापि नहीं भूला जाना चाहिए। यह स्मृति भविष्य के लिए चेतावनी
है और मेलमिलाप के प्रयास करने का बुलावा है। उनकी कामना है कि दोनों समुदायों के मध्य
विद्यमान वर्तमान मधुर संबंध और सुदृढ़ हों तथा बहुत फल उत्पन्न करें।