सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लगातार प्रयास और समय की आवश्यकता – फादर लोम्बार्डी
वाटिकन सिटी, 7 फरवरी, 2009। वाटिकन प्रेस कार्यालय के संवाददाता फादर फेदिरको लोम्बार्डी
ने कहा है कि कलीसिया से बहिष्कृत किये गये चार धर्माध्यक्षों को पुनः कलीसिया में स्वीकार
किये जाने से उठे विवाद से बचा जा सकता था।
जेस्विट फादर लोम्बार्डी ने उक्त बातें
उस समय कहीं जब वे फ्रांसीसी दैनिक ' ला क्रोइस ' से बातें कर रहे थे। उन्होंने यह
भी स्वीकार किया कि रोमन कूरिया में भी बातों के आदान-प्रदान की समस्या हो जाती है।
ज्ञात हो कि संत पीयुस दसवें धर्मसमाज के चार बहिष्कृत धर्माध्यक्षों को धर्माध्यक्षों
की नियमावली के अन्तर्गत 21 जनवरी कलीसिया में शामिल किया गया। इसकी आम घोषणा 24 जनवरी
को की गयी।
धर्माध्यक्षों को काथलिक कलीसिया में पुनः शामिल करने का मुद्दा
इसलिये चर्चों में आया क्योंकि उन चार धर्माध्यक्षों में से एक धर्माध्यक्ष रिचर्ड विलियमसन
ने नवम्बर माह में स्वीस टेलेविज़न को दिये गये अपने एक साक्षात्कार में यह कहा था कि
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नाज़ियों के द्वारा यहूदियों के नरसंहार के संबंध में कोई
ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है।
उनके इस वक्तव्य से यहूदियों में रोष है। इस संबंध
में संत पापा के सचिव की ओर से एक सूचना यह कह कर प्रकाशित की गयी कि संत पापा को इस
बात की जानकारी नहीं दी गयी थी।
संत पापा अब भी यहूदियों के साथ अपनी सहानुभूति
रखते हैं। फादर लोम्बार्डी का मानना है कि बहिष्कृत लोगों को कलीसिया में वापस बुलाना
एक प्रक्रिया है और इसका समाधान समय पर निकाल लिया जायेगा।
इस संबंध में वाटिकन
के प्रवक्ता ने इस बात से भी लोगों को अवगत कराया कि इस संबंध में जो भी भ्रांतिया पैदा
हुई उसके लिये वे संवाददाता भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने आधिकारिक सूचना को प्रकाशित करने
के पहले ही समाचार छाप दिये जिससे इसने कई सवाल खड़े कर दिये।
पोप के प्रवक्ता
ने कहा है कि किसी भी वार्तालाप की प्रक्रिया के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लगातार
प्रयास करने की आवश्यकता है।