2009-02-03 11:44:50

वाटिकन सिटीः चालीसा काल के लिये सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश की प्रकाशना


वाटिकन ने मंगलवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के चालीसाकालीन सन्देश की विधिवत प्रकाशना कर दी। 25 फरवरी से काथलिक धर्मानुयायी चालीसाकाल आरम्भ कर रहे हैं। इस काल के दौरान व्यक्ति प्रार्थना, दयादान एवं उपवास द्वारा अपने हृदय को शुद्ध कर पास्का यानि प्रभु येसु के पुनःरुथान महापर्व के लिये तैयार करता है।

इस वर्ष के चालीसा कालीन सन्देश में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपवास के महत्व पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अपनी सार्वजनिक प्रेरिताई से पूर्व येसु ने चालीस दिन तक उपवास कर स्वतः को तैयार किया था उसी प्रकार हम भी अपने हृदयों को तैयार करें। उन्होंने कहा कि हम सभी पाप एवं उसके परिणामों के बोझ तले दबे हैं इसलिये उपवास का प्रस्ताव किया जा रहा है जो ईश्वर के साथ मैत्री का सशक्त अस्त्र है।

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि नवीन व्यवस्थान में येसु फरीसियों के पाखण्ड की निन्दा कर उपवास के यथार्थ मर्म के समझाते हैं। उन्होंने कहा कि यथार्थ उपवास का अर्थ है सात्विक भोजन करना तथा ईश इच्छा का पालन करना।

इस बात पर सन्त पापा ने खेद व्यक्त किया कि वर्तमान युग में उपवास के यथार्थ मूल्य को भुला दिया गया है। उन्होंने कहा कि उपवास के केवल शारीरिक, भौतिक एवं चिकित्सीय महत्व को ध्यान में रख कर ही लोग उपवास करने लगे हैं किन्तु इसके आध्यात्मिक महत्व को उन्होंने नज़र अन्दाज़ कर दिया है। उन्होंने कहा कि शरीर की देखभाल करना उचित है किन्तु आत्मा की चंगाई की उपेक्षा भी नहीं की जानी चाहिये।

सन्त पापा ने कहा कि शरीर को पोषण प्रदान करनेवाले भोजन से प्रत्याहार हमारे अन्तरमन को ईश्वर के मुक्तिदायी वचन सुनने का मौका देता है जिसे गँवाया नहीं जाना चाहिये। उपवास द्वारा हम अपने अन्तरमन में व्याप्त ईश्वर की क्षुधा एवं तृष्णा को बुझाने का मौका देते हैं। इसके अतिरिक्त, सन्त पापा ने कहा, उपवास हमें अपने इर्द गिर्द खड़े उन भाई बहनों पर दृष्टि डालने का मौका देता है जो भुखमरी एवं कुपोषण से पीड़ित हैं।








All the contents on this site are copyrighted ©.