कोलम्बो 1 फरवरी, 2009। एभान्जेलिकन कलीसिया के करीब 4 हज़ार सदस्यों ने श्री लंका
की राजधानी कोलोम्बों में सरकार द्वारा प्रस्तावित उस विधायक का विरोध किया है जिसके
द्वारा धर्मपरिवर्तन पर रोक लगाने की बात कही गयी है।
उकान समाचार के अनुसार
बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन विधेयक बिल को संसद में विचार-विमर्श के लिये प्रस्तुत किया गया
है और उसके बाद उसे पारित करने के लिये वोट डाले जायेंगे।
समाचार के अनुसार एभांजेलिक
चर्चो के सदस्य विहारा महा देवी पार्क में जमा हुए और एक साथ मिल कर प्रार्थनायें की।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि ईसाइयों का सरकार से दो प्रमुख
माँगे हैं।
पहली की सरकार शीघ्र ही धर्मपरिवर्तन विधेयक पर बहस करना बन्द करे।
और दूसरी कि सरकार सब धर्मों के प्रतिनिधियों की एक समिति बनाये जो धर्म परिवर्तन के
संबंध में विचार करें ।
रैली के आयोजनकर्त्ताओं ने अपनी माँगो को ईसाई सासंदों
के द्वारा सरकार को भेज दिया है।
स्थानीय समाचार पत्रों ने विधेयक के बारे में
बताते हुए इस बात का खुलासा किया कि विधेयक के अनुसार यदि कोई कोई व्यक्ति इस नियम का
उल्लंघन करेगा अर्थात् बलपूर्वक या प्रलोभन देकर धर्म का परिवर्तन करायेगा तो उसे सात
साल की कैद और पाँच लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।
इस संबंध में बातें
करते हुए विरोध रैली के आयोजक मार्गया चर्च के रोहन डे सिल्भा एकानायके ने बताया कि
वे धार्मिक स्वतंत्रता चाहते हैं और इसी लिये उन्होंने सब चर्चों की रैली निकाली है ।
धार्मिक स्वतंत्रता से ही देश में शांति व्यवस्था कायम हो सकती है।
एक काथलिक
सांसद जोन अमारातुंगा ने कहा है कि परोक्ष रूप से धर्मपरिवर्तन पर रोक विधेयक देश के
संविधान और प्रजातंत्र के मूल्यों के विरुद्ध है ।
इसलिये उनकी अपील है कि जो
भी प्रजातंत्र पर विश्वास रखते हैं उन्हें चाहिये कि वे इस विधेयक का विरोध करें और देश
को बचायें।
उनतीस वर्षीय पास्टर कुमार मेन्डिस ने कहा कि हम ईश्वर से प्रार्थना
करते हैं कि वे देश को जंगल राज बनने से बचायें। उन्होंने यह भी बताया कि विगत पाँच सालों
में 200 से भी ज़्यादा चर्चों पर हमले किये गये हैं।
ज्ञात हो कि बैद्धों धर्मावलंबियों
की एक समिति सरकार से माँग है कि विधेयक वह इस बिल को पारित करे।
उधर धर्मपरिवर्तन
के सर्वेक्षण के लिये बनी समिति के अध्यक्ष गालागोदाता ज्ञानासरा थेरा ने माँग की है
कि बिल को संसद में वोट के लिये लाया जाये और देश को इस धार्मिक संकट से बाहर निकाला
जाये।