प्रवासियों और यायावरों की प्ररिताई संबंधी परमधर्मपीठीय समिति के सचिव महाधर्माध्यक्ष
अगोस्तीनो मारकेतो ने कहा कि प्रवसन चुनौती और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है तथा प्रत्येक
व्यक्ति की मर्यादा का सम्मान करने सहित समाज में यथार्थ समाकलन का प्रसार किया जाना
चाहिए। कैलिफोर्निया में सान दियेगो विश्वविद्यालय में धर्म, प्रवसन और राष्ट्रीय अस्मिता
शीर्षक से आयोजित सम्मेलन को 27 जनवरी को दिये गये सम्बोधन में उन्होंने उक्त तथ्य की
पुष्टि की। प्रवासियों की सांस्कृतिक पहचान के बारे में उन्होंने कहा कि वे जब एक नये
समाज में प्रवेश करते हैं तो यह आसानी से खो जाता है। उन्होंने प्रवसन पूर्व शैक्षणिक
कार्यक्रमों के संचालन पर बल दिया ताकि इस जरूरत के प्रति लोगों को तैयार किया जा सके।
उन्होंने कहा कि संवाद के माध्यम से अंतर सांस्कृतिक समाकलन करना प्रवासी के साथ ही आश्रयदाता
समाज की जिम्मेदारी है। महाधर्माध्यक्ष मारकेतो ने सांस्कृतिक रीति रिवाजों और धार्मिक
परम्पराओं सहित प्रत्येक व्यक्ति की मर्यादा का सम्मान करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने
कहा कि सतही या सहिष्णु संबंधों को बढ़ावा देने से कहीं अधिक संस्कृतियों के परस्पर उर्वरीकरण
को प्रोत्साहन देना चाहिए।