देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ, रविवार 25 जनवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण
में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व दिये संदेश में कहा-
अतिप्रिय
भाईयो और बहनो,
इस रविवार के सुसमाचार पाठ में गलीलिया में येसु के प्रथम प्रवचन
के शब्दों की प्रतिध्वनि है। समय पूरा हो चुका है, ईश्वर का राज्य निकट आ गया है पश्चाताप
करो और सुसमाचार में विश्वास करो। आज 25 जनवरी को हम प्रेरित संत पौलुस के मनपरिवर्तन
का स्मरण करते हैं। यह सुखद संयोग है विशेषकर संत पौलुस को समर्पित वर्ष में जब हम प्रेरित
के अनुभव पर मनन चिंतन करते हैं, यह सुसमाचारीय मनपरिवर्तन मेटानोया शब्द के सही अर्थ
को समझने की हमें अनुमति प्रदान करता हैA
संत पौलुस के मामले में कुछ लोग मन
परिवर्तन शब्द का उपयोग नहीं करना चाहते हैं क्योंकि वे कहते हैं वे पहले से ही विश्वासी
थे, वस्तुतः वे एक सक्रिय यहूदी हैं इसलिए वे अविश्वास से विश्वास की और नहीं गये, मूर्तिपूजा
से ईश्वर की ओर नहीं गये और उन्होंने येसु ख्रीस्त को अपनाने के लिए यहूदी विश्वास का
परित्याग नहीं किया। वास्तव में इस प्रेरित के अनुभव प्रत्येक सच्चे विश्वासी के लिए
आदर्श हैं।
संत पौलुस का मन परिवर्तन पुर्नजीवित ख्रीस्त के साथ साक्षात्कार
में परिपक्व हुआ। यही वह साक्षात्कार है जिसने उनके अस्तित्व में मूलभूत परिवर्तन लाया।
आज के सुसमाचार में येसु जो बात कह रहे हैं वह उनके लिए दमिश्क के रास्ते में हुआ। दिव्य
प्रकाश को धन्यवाद, साऊल का मन परिवर्तन हुआ उसने सुसमाचार में विश्वास किया। उनका मन
परिवर्तन और हमारा मन परिवर्तन इस तथ्य पर कि येसु मरे और जी उठे इस पर विश्वास करने
में तथा उनकी दिव्य कृपाओं के आलोक के प्रति स्वयं को खोलने में निहित है। उस क्षण से
साऊल ने समझा कि उसकी मुक्ति संहिता के अनुसार किये गये भले कार्यों पर निर्भर नहीं करती
है लेकिन इस तथ्य पर कि उसके लिए जो अत्याचारी था येसु मर गये। वे थे, हैं और पुर्नजीवित
हो गये। यह तथ्य जो बपतिस्मा संस्कार के द्वारा प्रत्येक ख्रीस्तीय के अस्तित्व को आलोकित
करता है हमारी जीवन शैली में पूर्ण परिवर्तन ला देता है।
मन परिवर्तन का अर्थ
हममें से प्रत्येक जन के लिए भी है। यह विश्वास करना है कि येसु नें मेरे लिए स्वयं को
क्रूस पर मरकर बलिदान कर दिया और पुर्नजीवित हुए तथा वे मेरे साथ हैं और मुझमें जीते
हैं। उनकी क्षमाशीलता की शक्ति के प्रति स्वयं को समर्पित करते हुए, उनके हाथ से स्वयं
को चलाने देने की अनुमति प्रदान कर मैं भी पाप और घमंड, झूठ और उदासी, स्वार्थ और प्रत्येक
झूठी निश्चितता के बलुई दलदल से बाहर निकल सकता हूँ तथा उनके प्रेम की समृद्धि को जानकर
उसमें जी सकता हूँ।
प्रिय मित्रो, मन परिवर्तन के लिए निमंत्रण संत पौलुस के
साक्ष्य से पुष्टि पाकर आज विशिष्ट रूप से बहुत महत्व का है, ख्रीस्तीय एकता के लिए प्रार्थना
करने के सप्ताह के समापन में यहाँ तक कि एकतावर्द्धक स्तर में भी। प्रेरित संत पौलुस
सामुदायिकता की दिशा में प्रगति करने के लिए सही आध्यात्मिक मनोवृत्ति हमें दिखाते हैं।
फिलिप्पियों को लिखे अपने पत्र में वे लिखते हैं- मैं यह नहीं कहता कि मैं अब तक यह सब
कर चुका हूँ या मुझे पूर्णता प्राप्त हो गयी है किन्तु मैं आगे बढ़ रहा हूँ ताकि वह लक्ष्य
मेरी पकड़ में आये जिसके लिए ईसा मसीह ने मुझे अपने अधिकार में लिया।
निश्चय
ही हम ख्रीस्तीय पूर्ण एकता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाये हैं लेकिन यदि हम स्वयं
को निरंतर प्रभु येसु द्वारा परिवर्तन करने की अनुमति प्रदान करते हैं तो हम निश्चय ही
उस लक्ष्य तक पहुँच जायेंगे। कुँवारी माता मरियम एक पवित्र कलीसिया के लिए यथार्थ मन
परिवर्तन के वरदान को प्राप्त करें ताकि ख्रीस्त की इच्छा वे सब एक हो जायें पूरी हो।
उन्हें हम इस प्रार्थना सभा को समर्पित करते हैं जिसकी अध्यक्षता इस संधया मैं संत पौलुस
महामंदिर में करूँगा जिसमें प्रतिवर्ष के समान रोम में विद्यमान विभिन्न चर्चों और कलीसियाई
समुदायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त
किया। उन्होंने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
प्रदान किया।