2009-01-19 15:42:43

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 18 जनवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व दिये संदेश में कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

आज प्रवासियों और शरणार्थियों का विश्व दिवस है। इस वर्ष हम प्रेरित संत पौलुस को समर्पित वर्ष मना रहे हैं, सुसमाचार के इस महान मिशनरी के बारे में सोचते हुए मैंने इस शीर्षक का चयन किया- प्रवासी संत पौलुस गैर यहूदियों के प्रेरित। उनका यहूदी नाम साऊल था। वे सिलिसिया के एक प्रमुख शहर तारसुस में एक प्रवासी परिवार में जन्मे थे। वे तीन संस्कृतियों यहूदी, हेलेनिस्ट तथा रोमी संस्कृति में पले बढ़े और उनमें विश्वव्यापी मनोवृत्ति थी। ख्रीस्तीयों पर अत्याचार करनेवाले से लेकर सुसमाचार के प्रेरित बनने के लिए उनका मन परिवर्तन हुआ। पौलुस पुर्नजीवित ख्रीस्त के राजदूत बन गये ताकि सबलोगों को उनके बारे में बता सकें। इस धारणा के साख कि उनमें सब लोग ईश्वर की संतान के रूप में बड़े परिवार का निर्माण करने के लिए बुलाये गये हैं।

यह कलीसिया का भी मिशन है, भूमंडलीकरण के दौर में पहले से कहीं अधिक। हमारे लिए यह असंभव है कि ख्रीस्तीय होकर येसु के प्रेम संदेश का प्रसार करने की जरूरत महसूस नहीं करें मुख्यतः उनलोगों के लिए जो येसु को नहीं जानते हैं या फिर जो स्वयं को कठिन या दुखद परिस्थिति में पाते हैं।

आज मैं विशेष कर प्रवासियों के बारे में सोच रहा हूँ। उनकी वास्तविकता भिन्न भिन्न है। ईश्वर को धन्यवाद कुछ मामलों में यह शांतिपूर्ण है और वे अच्छी तरह समाकलित कर लिये गये हैं तो अनेय मामलों में दुर्भाग्य है कि यह दुखद है, कठिन है और यहाँ तक कि बहुत चिंताजनक भी। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि मसीही समुदाय प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक परिवार पर ध्यान दे तथा नवीकृत समर्पण के लिए संत पौलुस से शक्ति माँगे ताकि वह विश्व के हर भाग में विभिन्न जातीय समूहों, संस्कृतियों और धर्मों को माननेवाले लोगों के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए कार्य करे।

प्रेरित संत पौलुस हमें बताते हैं कि उनके नये जीवन का रहस्य क्या था। वे लिखते हैं- ईसा मसीह ने मुझे अपने अधिकार में ले लिया। वे आगे कहते हैं- आप सब मिलकर मेरा अनुसरण करें। वस्तुतः हम में स प्रत्येक जन अपनी अपनी बुलाहट के अनुसार जहाँ हम जीते और कार्य़ करते हैं सुसमाचार की साक्षी देने के लिए बुलाये जाते हैं। उन भाई बहनों के लिए हम और अधिक दिलचस्पी प्रदर्शित करें जो अनेक कारणों से विभिन्न देशों से आकर हमारे बीच रह रहे हैं, प्रवसन के सत्य को मूल्य प्रदान करते हैं तथा सभ्यताओं के मिलन का अवसर प्रदान करते हैं। हम प्रार्थना और कार्य़ करें ताकि यह सदैव शांतिमय और रचनात्मक तरीके से सम्मान और संवाद में सम्पन्न हो, संघर्ष और अपशब्दों के प्रयोग के हर प्रलोभन से दूर।

मैं नाविकों और मछुआरों का विशेष रूप से स्मरण करता हूँ जो बहुत ही अनिश्चितताओं का अनुभव कर रहे हैं। नियमित कठिनाइयों के साथ ही वे पीड़ित हैं क्योंकि अपने जहाज में वे आध्यात्मिक सहायता के लिए पुरोहितों को नहीं ला सकते हैं। इसके साथ ही समुद्री डाकुओं के खतरे तथा अवैध तरीके से मछली मारने से होनेवाली क्षति का वे सामना कर रहे हैं। मैं उनके प्रति अपनी समीपता व्यक्त करता हूँ। मेरी कामना है कि समुद्र में सहायता उपलब्ध कराने की उनकी उदारता को देखते हुए उनको और अधिक महत्व और क्षतिपूर्ति मिले। अंततः मेरे विचार परिवारों के विश्व सम्मेलन की ओर उन्मुख होते हैं जिसका समापन मेक्सिको सिटी में हो रहा है तथा ख्रीस्तीयों के मध्य एकता का सप्ताह जिसका शुभारम्भ हो रहा है। अतिप्रिय भाईयो और बहनो, मैं आप सबको इन मनोरथों के लिए प्रार्थना करने हेतु आमंत्रित करता हूँ तथा कुँवारी माता मरियम की ममतामयी मध्यस्थता की याचना करता हूँ।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और तीर्थयात्रियों को प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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