देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 11 जनवरी को रोम स्थित संत पेत्रुस महामंदिर
के प्रांगण में देश विदेश से एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व दिये गये संदेश में कहाः-
अतिप्रिय
भाईयो और बहनो,
प्रभु प्रकाश का समारोही पर्व मनाने के बाद आज इस रविवार को हम
प्रभु येसु के बपतिस्मा का समारोह मनाते हैं। यह उनके सार्वजनिक जीवन का पहला कार्य था
और इसका वृत्तांत चारों सुसमाचार में मिलता है। 30 वर्ष की आयु में येसु नाजरेथ से आये
और अनेक लोगों के मध्य यर्दन नदी में योहन बपतिस्ता से बपतिस्मा ग्रहण किये। सुसमाचार
लेखक संत मारकुस लिखते हैं- वे पानी से बाहर निकल ही रहे थे कि उन्होंने स्वर्ग को खुलते
और आत्मा को कपोत के रूप में अपने ऊपर आते देखा और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी- तू मेरा
प्रिय पुत्र है, मैं तुझ पर अत्यंत प्रसन्न हूँ। इन शब्दों के द्वारा अनन्त जीवन की प्रकृति
को प्रकट किया गया। यह ईश्वर के साथ पिता पुत्र संबंध है जैसा कि येसु ने जीवन जीया,
प्रकट किया और हमें दिया।
आज की सुबह परम्परा का पालन करते हुए सिस्टीन प्रार्थनालय
में मैंने तेरह नवजात शिशुओं को बपतिस्मा संस्कार प्रदान किया। अभिभावकों तथा धर्म माता-पिता
से याजक पारम्परिक रूप से पूछते हैं- आप अपने बच्चे के लिए ईश्वर की कलीसिया से क्या
चाहते हैं वे उत्तर देते हैं- बपतिस्मा। इसके बाद याजक कहते हैं- बपतिस्मा हमें क्या
देती है उनका प्रत्युत्तर होता है- अनन्त जीवन। यह अत्यंत आश्चर्यजनक है। बपतिस्मा
संस्कार के द्वारा मानव येसु के पिता के साथ अनूठे और निजी संबंध में शामिल होने के लिए
लाया जाता है। यह इस तरह है कि स्वर्ग से जो शब्द कहे गये थे वे प्रत्येक स्त्री और पुरूष
के लिए सच बन जाते हैं जो पवित्र आत्मा के जल से पुनः जन्म लेते हैं – मेरे प्रियो, तुम
मेरे पुत्र और पुत्री हो।
अतिप्रिय मित्रो, बपतिस्मा का वरदान कितना महान है।
यदि हम अपने आप को इसके प्रति पूर्ण रूप से जागरूक करें। हमारा जीवन सतत् कृपा बन जायेगा।
ख्रीस्तीय अभिभावकों के लिए कितना महान आनन्द है कि उनके प्यार से एक नयी सृष्टि ने जन्म
लिया है, जिन्होंने इस शिशु को बपतिस्मा संस्कार प्रदान करनेवाले कुंड के पास लाया है
और देखा है कि शिशु कलीसिया के गर्भ से पुनः जन्म ले ऐसे जीवन के लिए जो कभी समाप्त नहीं
होगा। उपहार और आनन्द के साथ ही जिम्मेदारी भी है। अभिभावक वस्तुतः धर्ममाता-पिता के
साथ अपने बच्चों का पालन पोषण सुसमाचार के अनुसार करें।
यह हमारे मन में अगले
सप्ताह मेक्सिको सिटी में सम्पन्न होनेवाले परिवारों के छटवें विश्व सम्मेलन के शीर्षक
परिवार मानवीय और ख्रीस्तीय मूल्यों की शिक्षिका का स्मरण कराता है। परिवार संबंधी परमधर्मपीठीय
समिति द्वारा आयोजित होनेवाली परिवारों की यह महान बैठक तीन भागों में सम्पन्न होगी।
प्रथम भाग में ईशशास्त्रीय और मेषपालीय कांफ्रेंस होगा जिसमें बैठक के शीर्,क पर विचार
मंथन कर सार्थक अनुभवों का आदान प्रदान किया जायेगा। इसके बाद समारोह और साक्षी देने
का अवसर होगा जिसमें एक ही विश्व्स और एक ही समर्पण में संयुक्त विश्व के प्रत्येक भाग
के परिवारों की बैठक के सौंदर्य को प्रकाश में लाया जायेगा और अंत में समारोही यूखरिस्तीय
समारोह अर्पित किया जायेगा जो विवाह, परिवार और जीवन रूपी वरदान के लिए ईश्वर के प्रति
धन्यवाद होगा। मैंने वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने को मेरा प्रतिनिधित्व
करने के लिए कहा है लेकिन मैं भी सक्रिय रूप से इस अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रार्थना
और वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से भाग लूँगा। अतिप्रिय भाईयो और बहनो, मैं आपको परिवारों
के इस अंतरराष्ट्रीय समारोह के लिए दिव्य कृपाओं की याचना करने हेतु आमंत्रित करता हूँ।
इसके लिए हम कुँवारी माता मरियम, परिवारों की रानी की मध्यस्थता की याचना करें।
इतना
कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत संदेश
प्रार्थना का पाठ करने के बाद सबको प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।