2009-01-08 16:46:58

वाटिकन के साथ कूटनैतिक संबंध रखनेवाले राष्ट्रों के राजदूतों को संत पापा का संदेश


संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वाटिकन के साथ कूटनैतिक संबंध रखनेवाले 178 राष्ट्रों के राजदूतों को गुरूवार 8 जनवरी को सम्बोधित किया। प्रतिवर्ष नववर्ष के उपलक्ष्य में राजदूतों को सम्बोधित करने की परम्परा को जारी रखते हुए उन्होंने सबके लिए न्याय, सौहार्द और शांति की कामना की। निर्धनों की पीड़ा पर चिंता प्रकट करते हुए संत पापा ने विश्व शांति दिवस हेतु अपने संदेश के शीर्षक का स्मरण किया तथा इस बात पर बल दिया कि शांति निर्माण हेतु निर्धनों को नवीन आशा प्रदान करने की जरूरत है। उन्होंने दोहा व्यापार वार्ता में हाल में हुई प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करना पुनः विश्वास बनाने की माँग करता है और इस लक्ष्य को तब ही प्राप्त किया जा सकेगा जब मानव में निहित मर्यादा पर आधारित नीतियों को लागू किया जा सकेगा। संत पापा ने अमरीका, आस्ट्रेलिया और फ्रांस की अपनी प्रेरितिक यात्राओं का स्मरण कर कहा कि अनेक लोग चाहते हैं कि कलीसिया पूर्ण स्पष्टता और साहस के साथ मानवता और सुसमाचार प्रसार के मिशन कार्य को पूरा करे। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा समाज जो धर्मनिरपेक्ष है वह आध्यात्मिक पहलूओं और इसके मूल्यों की अवहेलना नहीं करता है क्योंकि धर्म बाधा नहीं लेकिन और अधिक न्यायी तथा स्वतंत्र समाज की रचना करने के लिए ठोस आधार है। इराक, भारत सहित विश्व के अनेक भागों में ईसाईयों के विरूद्ध की जानेवाली हिंसा, हमलों और भेदभाव की निन्दा करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी जड़ें न केवल भौतिक निर्धनता में लेकिन नैतिक निर्धनता में हैं। ईसाई धर्म शांति और स्वतंत्रता का धर्म है यह मानवजाति के यथार्थ हित की सेवा हेतु है। मध्य पूर्व की स्थिति विशेष कर पवित्र भूमि के बारे में संत पापा ने आशा व्यक्त की कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के निर्णायक समर्पण के साथ ही गाजा पटटी में पुर्नव्यवस्था की स्थापना होगी तथा शांति हेतु समझौता वार्ता होंगे। इसके साथ ही उन्होंने जाति, जातीय समूह या धर्म का भेदभाव किये बिना देश के नवनिर्माण करने के लिए इराकियों को प्रोत्साहन प्रदान किया तथा इरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े विवाद के समझौतापूर्ण समाधान के लिए अथक प्रयास करने का आह्वान किया जो देश की जरूरतों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आकांक्षा के पूरा करे।
एशिया के संदर्भ में संत पापा ने फिलिपीन्स के मिन्दानाओ में जारी शांति प्रयासों, बीजिंग और ताइपेई के मध्य संबंध तथा श्रीलंका में राजनैतिक समाधान के तहत संघर्ष समाप्त करने के लिए किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एशिया में ईसाई समुदाय की इच्छा अपने देश में पूर्ण योगदान देने की है, धार्मिक स्वतंत्रता के सिद्धान्तों को पूर्ण रूप से लागू किया जाये। संत पापा ने इस्राएल और सीरिया के मध्य संवाद तथा लेबनान में लोकतांत्रिक संस्थानों की मजबूती के लिए किये जा रहे प्रयासों को पूर्ण समर्थन देने का आह्वान किया तथा उनकी कामना है कि् मध्य एशिया के देशों में धार्मिक समुदायों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग करने के लिए वैधानिक गारंटी प्राप्त हो।

अफ्रीका की अपनी पहली आगामी यात्रा को देखते हुए संत पापा ने ईश्वर से याचना की कि अफ्रीका महाद्वीप के निवासी अपने दिल को खोलें ताकि वे सुसमाचार का स्वागत करें,इसके मूल्यों के अनुसार जीवन बितायें एवं शांति निर्माण करते हुए नैतिक और भौतिक निर्धनता को दूर करें। उन्होंने राजनैतिक नेताओं से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यथासंभव उपाय करने का आह्वान किया ताकि वर्तमान संघर्षों और इसके कारक अन्याय को दूर किया जा सके।

लातिनी अमरीकी देशों पर संत पापा ने कहा कि आप्रवास संबंधी कानूनों में सुधार की जरूरत है तथा वैसी नीतियाँ हों जो मानव और परिवार का मर्यादा की रक्षा की दिशा में हों। विभिन्न सरकारों द्वारा कानून का शासन स्थापित करने तथा मादक पदार्थों की तस्करी और राजनैतिक भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए किये जा रहे प्रयासों की संत पापा ने सराहना करते हुए कहा कि विगत 5 सदियों से कलीसिया लोगों की जरूरतों, आकांक्षाओं में उनके साथ रही है।

संत पापा ने तुर्की के ख्रीस्तीय समुदाय का स्मरण किया। प्रेरित संत पौलुस के जन्म की दो हजारवीं वर्षगांठ का समारोह इस वर्ष मनाया जा रहा है। अनेक तीर्थयात्री तारसुस की यात्रा कर रहे हैं जो ईसाईयत की उत्पत्ति से जुड़ा है। साइप्रस में शांति प्रयासों को देखते हुए संत पापा ने काक्स प्रांत के देशों से कहा है कि संघर्षों का समाधान शस्त्र के बल पर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि यूरोप और यूरोप के दक्षिण पूर्व में स्थायित्व के लिए वाटिकन समर्पित रहेगा। सर्बिया और कोसोवो की जनसंख्या के बीच मेलमिलाप और शांतिमय भविष्य की रचना के लिए आशा और उपयोगी स्थिति बनाने, अल्पसंख्यकों एवं अनमोल ख्रीस्तीय कलात्मक सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए प्रयास जारी रहेंगे जो सम्पूर्ण मानवजाति के लिए निधि है।












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