2009-01-05 16:06:18

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 4 जनवरी को रोम स्थित संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में देश विदेश से एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों के साथ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व दिये गये संदेश में उन्होंने कहाः-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
ख्रीस्त जयंती काल के दूसरे रविवार के लिए निर्धारित पाठ जो संत योहन के सुसमाचार की प्रस्तावना को प्रस्तुत करता है इसमें सम्पूर्ण ईसाई विश्वास का किंकर्तव्यविमूढ़ करनेवाला संश्लेषण निहित है। कलीसिया हमें येसु के जन्म के रहस्य पर नवीकृत तरीके से मनन चिंतन करने के लिए आमंत्रित करती है ताकि हमारे जीवन के लिए इसकी गहन सार्थकता और इसके महत्व को हम समझ सकें। आदि में शब्द था, शब्द ईश्वर के साथ था और शब्द ईश्वर था। शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया। हमने उनकी महिमा देखी है। वह पिता के एकलौते की महिमा जैसी है, अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण।

यह कोई शब्दों का आडम्बर, आलंकारिक रूप नहीं है लेकिन जीवंत अनुभव का परिणाम है। योहन के साक्ष्य पर लिखा गया है। ये किसी रब्बी या संहिता के विद्वान के शब्द नहीं हैं लेकिन एक विनम्र मछुआरे का भावपूर्ण साक्ष्य है जो एक युवा के रूप में नाजरेथ के येसु के प्रति आकर्षित हुआ था। उनके साथ तीन वर्ष का जीवन व्यतीत किया तथा अन्य शिष्यों ने भी येसु के प्रेम को अनुभव किया। उन्होंने स्वयं को कहा शिष्य जिसे येसु प्यार करते थे। उन्होंने येसु को क्रूस पर मरते तथा पुर्नजीवित ख्रीस्त को देखा तथा अन्यों के साथ उनकी आत्मा को ग्रहण किया। इन सारे अनुभवों से जिसपर वे अपने दिल में मनन चिंतन किया करते थे योहन ने एक दृढ़ मत बनायाः- येसु ही देहधारी ईश्वर की प्रज्ञा हैं, वे ही ईश्वर के अनन्त शब्द हैं जो मरणशील मानव बने। एक सच्चे इस्राएली के लिए जो पवित्र धर्मग्रंथ को जानता है यह विरोधाभासी नहीं है क्योंकि यह प्राचीन संहिता की पूर्णता है। येसु में ईश्वर के रहस्य की परिपूर्णता होती है जो प्रत्येक मानव से मित्र के समान बोलते हैं, जिसने मूसा, विद्वानों तथा नबियों के लिए संहिता को प्रकट किया। शिष्यों ने येसु को उनके साथ रहते हुए जाना, सुना और भविष्यवाणी को पूरा होते देखा कि उन्में सम्पूर्ण धर्मग्रंथ पूरा हो रहा है। एक ख्रीस्तीय लेखक इस बात की पुष्टि करते हैं कि सम्पूर्ण दिव्य धर्मग्रंथ एक अद्वितीय पुस्तक है और यह अद्वितीय पुस्तक हैं येसु। यह येसु के बारे में बताती है और येसु में परिपूर्णता पाती है।

प्रत्येक स्त्री और पुरूष को अपने अस्तित्व के लिए गहन अर्थ पाने की जरूरत है और इसके लिए पुस्तकें यहाँ तक कि धर्मग्रंथ पर्याप्त नहीं है। बेथलेहेम का बालक हमारे लिए प्रकट करता है, भले और निष्ठावान ईश्वर के यथार्थ चेहरे के बारे में बताता है जो हमें प्रेम करते हैं और हमें नहीं त्यागते हैं यहाँ तक कि मृत्यु तक नहीं छोड़ते हैं। संत योहन प्रस्तावना का समापन इस प्रकार करते हैं किसी ने कभी ईश्वर को नहीं देखा, पिता की गोद में रहनेवाले एकलौते ईश्वर ने उसे प्रकट किया है। शब्द ने देह धारण किया इस पर सर्वप्रथम मरिया य़ेसु की माता ने विश्वास किया। इस प्रकार गलीलिया की एक विनम्र युवती प्रज्ञा का सिंहासन बनीं। प्रेरित संत योहन के समान ही हम में से प्रत्येक जन को आमंत्रित किया जाता है कि हम उन्हें अपने घर ले जायें ताकि येसु को और अधिक गहराई से जानें तथा उनके निष्ठापूर्ण एवं समाप्त नहीं होनेवाले प्रेम को अनुभव कर सकें। इस नये वर्ष के आरम्भ में अतिप्रिय भाईयो और बहनो आप सबके लिए यही मेरी मंगलकामना है।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया तथा देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने के बाद सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।










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